itihaas Hindi Short Story: “शेर को किसने और कब पकड़ा था?” “भरत राजा ने, जबवे बालक ही थे ।”शिक्षक के प्रश्न का बच्चों ने उत्तर दिया। “सर ! सर ! मैं कुछ कहना चाहता हूँ ?” एक गरीब-सा बच्चा हाथ उठाए था । “हाँ बोलो, क्या कहना चाहते हो?” शिक्षक ने आज्ञा दी। “भरत ने […]
sahitya vimarsh
खलल: Hindi Kahani
Khalal Hindi Kahani: संतो के प्रवचन सुनने का उन्हें शौक था। नियमित प्रवचन सुनते। कोई संत नगर में आता तो रोज़ सुनने जाते। अब तो ऊपर वाले ने उनकी सुन ली थी। टेलीविजन पर रोज़ प्रवचन आने लगे। वे सुबह से ले कर शम तक अपने समय के खाली हिस्सों को इन्हीं प्रवचनों से भरते। […]
परम्परा: Short Stories
Parampara Short Stories: बहू घर में पहली बार आई तो सास ने बहू को वही साड़ी दी जो उन्हें अपनी सास से मिली थी। यह घर की परम्परा थी। सास अपनी बहू को साड़ी देती, जिसे वह गोदभराई के वक्तपहनती। बहू का जब गोदभराई का समय आया तो सास ने याद दिलाया कि बहू […]
औकात: Hindi short story
Aukaat Hindi Short Story: “बहु! ये अदरक क्यों काट रही हो? तुम्हें पता है न, हम अदरक नहीं डालते सब्जी में|” “मम्मी जी मैं सारी सब्जी में नहीं डाल रही हूँ अदरक, अपने लिए अलग से डाल लूँगी |” “क्यों, बिना अदरक सब्जी हलक से नीचे नहीं उतरती क्या?” “ऐसा नहीं है मम्मीजी! रोज तो […]
लिखे जो खत तुझे: Hindi Story
Likhe jo khat tujhe Hindi Story: नेहा एक जरूरी फाइल अपनी अलमारी में ढूंढ रही थी। ” कहां चली गई? यहीं तो रखी थी , जब जरूरत हो तो मिलती ही नहीं ! ” उसने झुंझलाहट के साथ सोचा। तभी उसके कॉलेज के दिनों की डायरी गिर गई, व एक खत खिसक कर बाहर झांकने […]
मदद: Hindi Kahani
Madad Hindi Kahani: ” हां ऋषभ बोल” ” क्या! सच में” ” थैंक्स यार! तुने बता दिया वरना मैंने तो मिस कर दिया था” कह शुभ ने फोन रख दिया। ” क्या बात है ?” अनु ने अपने १३ वर्षीय बेटे शुभ से पूछा। ” मां ! वो स्कूल में ऑलराउंडर बच्चों को सम्मानित किया […]
संकेत: Hindi Kahani
Sanket Hindi Kahani: विक्रम राय अपने दोस्त के घर से निकला| शाम का धुंधलका बढ़ने लगा था| मोटरसाइकिल पर चढ़कर यमुना पार कर अपने घर की ओर वह बढ़ चला|छोटे-छोटे बाल, लंबा-सुडौल शरीर, चटक चाल विक्रम के पुलिस अफसर होने का भ्रम पैदा करती| यमुना का पुल पार करते ही अचानक उसकी मोटरसाइकिल खराब हो […]
गोरख धंधा: Hindi Story
Gorakh dhandha Hindi Story: राम सिंह पहली बार दिल्ली आया था|| वह अंतरराज्यीय बस अड्डे पर उतरा| उसने डीटीसी की एक बस पकड़ी और अपने गंतव्य की ओर चल पड़ा| सीट मिली| वह बैठ गया| उसने सिगरेट सुलगा ली| अभी एक-दो कक्ष ही लिए थे कि ड्राइवर काकर्कश स्वर सुनाई दिया,“क्यों बे! देखता नहीं, लिखा […]