Madad Hindi Kahani: ” हां  ऋषभ बोल” 

” क्या! सच में” 

” थैंक्स यार! तुने बता दिया वरना मैंने तो मिस कर दिया था” कह शुभ ने फोन रख दिया।

” क्या बात है ?” अनु ने अपने १३ वर्षीय बेटे शुभ से पूछा।

” मां ! वो स्कूल में ऑलराउंडर बच्चों को सम्मानित किया जाएगा और नामांकन भरने का आज आखिरी दिन है,  अभी-अभी ऋषभ ने बताया, मैं तो भूल  ही गया था ।” 

” ओह ! कल यह वाद-विवाद प्रतियोगिता भी है और अब नामांकन भरने के लिए तुम्हारे सारे प्रशस्ति पत्र अपलोड करने होंगे ” अनु चितंत हो उठी।

” अच्छा ऐसा करो तुम सिर्फ प्रतियोगिता पर ध्यान दो और अपने कराटे के व दूसरे प्रशस्ति पत्र मुझे दो , मैं अपलोड करतीं हूं” कह मां लैपटॉप व फोन ले कर बैठ गई।

तभी फोन बज उठा , शुभ के लिए था कोई रिचा नाम की लड़की का , काम के बीच फोन बजना खल गया अनु को मगर दे दिया।

थोड़ी देर बाद फिर बजा , वही रिचा का था।

आखिर उसने पूछ ही लिया ” क्या बात है?”

” मां रिचा तीन दिन से स्कूल नहीं आई है तो छूटा काम मांग रही है, परसों से टेस्ट जो शुरू है”।

” सुनो शुभ !  रात के ८बज रहे है, तुम्हें प्रतियोगिता के लिए तैयारी करनी है और  मुझे नामांकन भरना है तो उसका नंबर ब्लाक कर देते है” ।

“मां यह क्या कह रही है?”

” कोई और उसकी मदद कर देगा,  यु फोकस ऑन योर ग्लास आफ वाटर” 

” मां अगर यही बात ऋषभ को किसी ने समझा दी होती तो………आप अभी मेरा नामांकन नहीं भर रहीं होती”  शुभ ने दृढ़ता से कहा।

अनु को एक झन्नाटेदार थप्पड़ की गूंज सुनाई दी। “वक्त पर मदद” और “बिना मतलब मदद ” आज उसका बेटा उसे सीखा गया।

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