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शुभारम्भ

कुछ समय पहले ही आशाबाई गाँव से हमारे शहर आई थी। थोडे समय मे ही उसने सब का मन जीत लिया था। चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ घर के बच्चों से प्यार से बात करना, बड़ो का आदर करना उसके स्वभाव मे था। काम के लिए उसे टोंकना नही पड़ता था,पूरी लगन और मेहनत से […]

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संवेदना विहीन

सर्दी, खांसी और बुखार के मामुली लक्षण से परेशान हो वह मोहल्ले के क्लिनिक में पहुंचा । उसका चेक-अप करने के बाद डॉक्टर ने उसे तत्काल कोरोना वाइरस की जांच के लिए शासन द्वारा निर्धारित फीवर  क्लिनिक की ओर भेज दिया । वहां उसकी जांच-पड़ताल कर रिपोर्ट आने तक कुछ दवाईयां तीन दिन लेने को […]

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परवरिश

वह देर से झगड़ रहा था. एक खिलोने के लिए .माँ ने टोका .” बेटा , तेरा दोस्त है. कुछ देर के लिए उसे भी खेलने को देदे ”” नहीं दूँगा ” उसने गुस्से से कहा और खिलौना ज़मीन पर पटख कर तोड़ दिया .बाप ने एक क़हक़हा लगाया – ” मेरा बेटा है ”    अब […]

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इंतजार

रात्रि के बारह बजे सड़क पर  स्ट्रीट लैंप की दुधिया रोशनी फैली हुई थी। शहर में चारों ओर सन्नाटा पसरा था। सड़क पर इक्का-दुक्का लोग दीख रहे थे। ट्रैफिक पुलिस नदारद। ऐसे में मैंने सड़क के किनारे एक वृद्ध दंपति को लोगों से कुछ सहायता मांगते हुए देखा। वृद्ध के एक हाथ में चमड़े का […]

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सूखी नदी: Short Story

Sookhee Nadee Short Story: भारी कदमों से अस्थि-कलश हाथों में थामे राजू अपने कुछ संबंधियों के साथ संगम तट पर पहुँचा। कङाके की ठंड वाला महीना था। उसकी आँखों की कोरों में नमी और मन गमगीन था। वह अस्थि विसर्जन का कार्य शीध्र ही निपटा लेना चाहता था।      वह अभी नाव की ओर […]

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हिन्दू+मुस्लिम=इंसान

दिल्ली दंगे का ताप इस छोटे शहर के सिर पर भी चढ़ चुका था। वे तीन थे जो रोज शाम को मिलते थे, हंसते- बतियाते थे। चाय -साय चलता था। टाटा बाई करते हुए वे अपने घर की राह पकड़ते थे। आज भी तीनो मिले। बात पर बात चली। बात का रुख न जाने कब […]

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श्रद्धांजलि

बहन के श्वसुर साहब की मृत्यु हो गई तो अमरीश जी माता जी के साथ तेहरवीं पर गये। श्वसुर साहब का अपने नगर में बहुत नाम था, बहुत लोग आए हुए थे। पंडित जी प्रवचन के उपरांत श्वसुर साहब के बारे में ही बता रहे थे— “बहुत भले व्यक्ति थे। कभी किसी का बुरा न […]

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हिज़ाब

मिस्त्र के पिरामिड देखने गए थे। इसी सिलसिले में एक दिन वहाँ की लोकल बस में यात्रा करनी पड़ी। श्रीमति जी को बाहर के दृश्य बहुत भाते हैं तो वह विंडो सीट पर थीं, हमारा 5 वर्षीय नटखट पुत्र, पारस, हम दोनों के बीच बैठा था। वह बोर होकर वह खड़ा हो गया। हम मुस्कुरा […]