बदला स्वरूप अब शिक्षण का

नवाचार ऐसा, प्रिय है बच्चों का

स्वयं ही लेखक हैं  और सम्पादक,

सहयोग लेते हैं अपने शिक्षक का

     “बाल दर्पण” है दीवार पत्रिका।

चित्रों में रंग जो उनको भायें

संग्रह  करके वो जो भी लाएं

मैडम संग मिलकर उसे सजाएं

जाग उठा आत्मविश्वास उनका

       जगा रही है, दीवार पत्रिका

रचनात्मकता का हुआ विकास।

कहानी, कविता, सामान्य ज्ञान में,

स्वरचित हो या कोई हो खास

ध्यान भी रखते दिवस विशेष का

     बच्चों की अपनी, दीवार पत्रिका।

पर्वों, पर्यावरण की जानकारी लाये,

सुंदर लेख में , लिखकर चमकाएं

दीवार पर अपनी रचना देख मुस्काए,

अक्स दिखे उन्हें अपने बालमन का

       बच्चों को भायें, दीवार पत्रिका।

गणित के सूत्र या आकृतियों का ज्ञान

खुद लिखकर, दे रहे हैं अब ध्यान।

अपने लेखन से पा रहे आत्मसम्मान

हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत व पर्यावरण का

           सबका सार है दीवार पत्रिका।

नैतिक संदेश अपनी रुचि का

गीत कोई अपनी संस्कृति का

दादी- नानी की कथा हो कोई

जड़ी- बूटी या दवा हो  कोई।

        सब कुछ दिखाए दीवार पत्रिका।

शिक्षक  से पाएं बच्चे सम्मान

बाल पत्रिका में  पाकर स्थान

इस नवाचारी शिक्षण में शिक्षक

समझ पाते हैं बाल मनोविज्ञान।

         रुचि व बच्चे के भविष्य का         

अनुमान लगाए दीवार पत्रिका।

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