Tootatee Maryaada Hindi Stories: “लो! फिर शुरू हो गया झगड़ना ! फिर माँ को पीटना।” पापा के कमरे से आती माँ की रोने की आवाज को सुनकर बेटे ने झल्लाहट में बोला।

“यही सब देखते हम लोग बड़े हो गए। बहुत हो गया अब, जाकर कहती हूँ पापा से।”
“नहीं दीदी! पापा फिर तुम्हें भी मारेंगे।”
“तुझे गांधी जी के तीन बन्दर बने रहना है तो बैठा रह !” कहकर वह बिजली सी कमरे से बाहर हो गयी।
“तू जा बिटिया!” माँ ने बेटी को देखते ही रुंधे गले से कहा।
“बेटी आँख दिखा रही मुझे! तुम इसको यही शिक्षा दी हो!” कहकर पत्नी को एक तमाचा और जड़ दिया |
“बस… करिए पापा…!” बेटी चीखी।
“तू मुझे रोकेगी !” कहते हुए पिता ने हाथ उठाया ही था कि बिटिया ने हाथ पकड़कर झटक दिया।
“माँ तुम्हीं तो शिक्षा दी हो न कि अन्याय के खिलाफ बोलना चाहिए !”

“अच्छा…! तो आग इसी ने लगाई है।” तैस में फिर से आगे बढ़े पिता।

“हम दोनों जवान हो गए हैं पापा। आप भूल रहे हैं, आप बूढ़े और कमजोर हो गए हैं। माँ भी पलटकर एक लगा सकती हैं, लेकिन वह रूढ़ियो में जकड़ी हैं, पर हम नहीं…।” क्रोध और आवेश से भरे बेटे ने भी चुटीले शब्दों की आहुति डाल दी थी। सुनकर पिता का चेहरा तमतमा गया।

“चुपकर बेटा !” खुद की दी हुई शिक्षा अपने ही पति पर लागू न हो जाए इस डर से माँ, बच्चों के पास आकर उन्हें बाहर जाने को कहने लगी |

सामने बिस्तर पर पड़े हुए अखबार में ‘पत्नी के साथ घर में गर्लफ्रैंड रख सकते’ हेडिंग देखकर बेटी ने हिम्मत बटोर पिता से कहा – “माँ को जिस कानून की धमकी दे रहे हैं आप, जाकर उन आंटी से कभी यही कहकर देखियेगा | माँ के साथ आप जो करते हैं न, वही आपके साथ वह करेंगी |” शर्मिंदगी के बोझ से पिता का सिर झुक गया |

“कानूनी आदेश का सहारा लेकर जो आप धौंस दे रहे हैं ! माँ यदि कानून की राह चली होती तो आप न जाने कब के जेल में होते। घरेलू हिंसा भी अपराध है पापा, वकील होकर भी आपको यह नहीं पता।” बेटा बिना पूर्णाहुति किए कैसे चुप रहता।

“चुप करो बच्चों, कानून का डर दिखाकर रिश्तों की डोर मजबूत नहीं हुआ करती है, हाँ टूट जरुर जाती है |” कहकर माँ रोने लगी मार खाने से भी ज्यादा तेज, बुक्का फाड़कर।

पत्नी और जवान बच्चों के मुख से निकले एक-एक शब्द हवा में नहीं बल्कि पिता के गाल पर पड़ रहे थे | थप्पड़ पड़े बिना ही अचानक पिता को अपने दोनों गाल पर जलन महसूस हुई, अपने गालो को सहलाता हुआ वह वही रखी कुर्सी पर धराशायी हो गया |

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