Short kahani in Hindi Shraddha Suman

हरीश- “हे  भगवान  मेरी निशा और मेरा बबलू ठीक तो होंगे। चार महिने बाद मिलने जा रहा हूं।” (कोझीकोड के बेबी  मेमोरियल हॉस्पिटल जाते हुए वो सोच रहा था।)

हॉस्पिटल पहुंचते ही उसने निशा को बाहों मे लेना चाहा पर नर्स ने रोक दिया, 

नर्स- “अभी कमजोर हैं और सदमे में हैं।”

हरीश पास की कुर्सो  पर बैठ गया।

हरीश – “निशा लो गरम गरम दूध पीयो। मेरे सहारे से उठो, ठीक तो हो ना।”

निशा- “हाँ जी ठीक हूं आप आ गये हैं तो और ठीक हो जाऊंगी।”

हरीश-” कोचीन से आते हुए मुझे रास्ते  मे ही पता चल गया था कि कोझिकोड  एयर पोर्ट पर एयर क्रैश  हो गया। दिल तेज़ धड़क गया, फिर ये भी पता चल गया कि  सब यात्री बच गये हैं। मैं तुम से मिलने के लिये और बेचैन हो गया। बबलू कहाँ है  कैसा है? खूब नाना  नानी के साथ दुबई घूमा।”

निशा- ” हाँ जी,वो देखो झूले में है अभी दूध पीकर सोया है। छाती  से चिपटा  रहा पूरे समय, कह रहा था पापा से मिलना है।”

हरीश- “बदमाश लड़की ( चपत)चार  महिने का बच्चा क्या बोलेगा?”

निशा- (हँसते हुए) “ये लोग तो दो दिन और ओब्सर्वेशन मे रखेंगे। अम्मा अप्पा कैसे हैं?”

हरीश- “सब ठीक है। तुम्हारे और राज दुलारे के इन्तजार मे हैं। मैने बता दिया कि दोनों ठीक है।”

निशा- “कोविड के लम्बे लाकडाऊन  के बाद सभी भारतीय  अपने वतन आने के लिये उतावले थे। मोदी जी ने एयर इण्डिया की ये स्पेशल फ्लाइट वन्दे भारत तय की पर—-“

हरीश- “पर क्या अब अफसोस मत करो ऊपर वाले ने बचा लिया।”

निशा-“सुनो जी मेरी एक बात मानोगे?”

हरीश-” बोलो तो, एक बात क्या दस बात मानूँगा।”

निशा- “सुनो, यहाँ  से सीधे घर नहीं जाएँगे।”

हरीश-“क्यों निशा घर क्यों नहीं जाएंगे ?”

निशा-“हरीश, यहाँ से पहले अखिलेश जी के घर जाना है।”

हरीश- “अखिलेश कौन?”

निशा- “ये वही पायलट है जो हमें वन्दे भारत फ्लाइट से लाया। अपनी जान कुरबान कर हमें बचाया। उसकी पत्नी और होने वाले बच्चे की माँ  से मिलना है।”

” तुम्हे पता हरीश उनके  साथ सीनियर पायलट दीपक साठे जी ने तो वहाँ हवा मे बहुत चक्कर काटे हमे चेतावनी दी गई थी कि  सीट  बेल्ट  बांधे  रहें। इतनी सतर्कता के बावजूद उस टेबल टॉप एयर पोर्ट पर हार  गये।जान गंवा बैठे।”(सिसकी)

हरीश – “चलो सम्हल जाओ और मेरे बबलू को मुझे दे दो। देखो तो हंस रहा है।”

हरीश – “निशा हम अखिलेश जी के घर ज़रूर चलेंगे। श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।” निशा – “मुझे अपने गोद में सुला लो हरीश।” निशा सिमट कर हरीश के गोद में सर रख लेती है।

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