Shaheed hindi kahani: गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर जन मानस बहुत गहराई से विचार-विमर्श करता है। ट्रेन और बस में यात्रियों के सहज वार्तालाप में जन-मानस के इन विचारों का निर्मल नवनीत कई बार यूं ही चखने को मिल जाता है। हालांकि इस विचार विमर्श का मूल उद्देश्य केवल समय पास करना होता है और बहस प्राय: अनिर्णीत रहती है परंतु कई बार यह उपक्रम महत्वपूर्ण और निर्णायक संकेत दे जाता है।
लोकसभा चुनावों के दिन थे। ठसाठस भरी बस में एक व्यक्ति ने समय पास करने के लिए राजनैतिक चर्चा प्रारम्भ की, “इस सरकार ने एक काम तो बहुत बढ़िया किया है। इस बार सारे पेट्रोल पंप शहीदों को आवंटित किए हैं।”
दूसरे आदमी ने विरोध किया, “ऐसा नहीं है, अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं, सांसदों और विधायकों को भी आवंटित किये हैं। ” पगड़ी बांधे एक बुजुर्ग यह वार्तालाप बहुत ध्यान से सुन रहा था। बोला, “पेट्रोल पम्प तो शहीदों को ही मिले हैं। जिन्हें बिना शहीद हुए मिल गए वो अब (चुनावों में) शहीद हो जायेंगे।” बस में ठहाका था।
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