Beta Short Story: अधेढ़ उम्र की महिला को माहवारी बंद होने के बाद, रक्तस्त्राव की समस्या थी, मुझे दिखाने आई। दोनों पति-पत्नी बहुत दुखी और परेशान थे। समस्त जांचों से आश्वश्त हो कर मैंने कहा, “साधारण बीमारी है, चिंतित होने की जरूरत नहीं है।”

“अब जीने की इच्छा नहीं है, डाक्टर सा’ब!” महिला बोली।  

“इतनी सी बात से निराश हो गए! आप तो मुझसे भी कम उम्र की हो।”  

पति बोले, “जब से बेटे की मृत्यु हुई है यह ऐसे ही हो गयी है।“

मैंने और विस्तार से पूछा तो पता चला, इनके 25 साल के एक मात्र पुत्र का पिछले साल कैंसर से निधन हो गया था। अचानक माहौल भीगा-भीगा सा हो गया।

मैंने माहौल बदलने की कोशिश की, “हिम्मत रखो एक दिन हम सबको जाना है। मेरी माँ भी इसी तरह एक दिन अचानक इस दुनिया से चली गयी थी।”

महिला बोली, “डाक्टर सा’ब! जवान और इकलौते बेटे की मौत ने हमें तो समय से पहले ही मार दिया है।  आप की तरह बहुत सुन्दर था मेरा बेटा! रात-दिन उसी का चेहरा आँखों के सामने घूमता है।  तीन बेटियां हैं पर अब मैं उनके लिए भाई और मेरे लिए बेटा कहाँ से लाऊं?”

“आज से आप मुझे ही अपना बेटा मान लो,” मैं भावुक हो गया था।

औरत की आँखों से अश्रुधारा बह निकली। बावन साल की माँ को पचपन साल का बेटा मिल गया था।

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