Sachchee shraddhaanjali Hindi Kahani: कोलकता के वृद्धाश्रम के ‘ बहुउद्देशीय सेवा केंद्र ‘ द्वारा भेजे गए कोरियर में
” रीमा , बिल फॉर फ्युनरल यूअर मदर ” को विस्मृत नेत्रों से पढ़कर इकलौती बेटी रीमा अपनी बूढ़ी माँ की अंतिम क्रिया में न शामिल होने के दुःख से फफक – फफक रो पड़ी . उस की अंतरआत्मा उसे धिक्कार रही थी . तभी पास बैठे उसके पति ने रीमा से रोने का कारण पूछा तो रीमा ने वह बिल दिखाया .
सांत्वना देते हुए पति ने उसका ढाढ़स बंधाया और फिर रीमा से कहा –
” तुम्हारे कहने से ही तो मैं अपनी माँ को वृद्धाश्रम में छोड़ आया था . चलो हम उसे वापस घर ले आते हैं . “
रीमा ने अपने पति को हाँ में गर्दन हिलाकर अपनी सहमती जताई . रीमा ने मन ही मन में सोचा यही मेरी माँ के लिए मेरा प्रायश्चित और सच्ची श्रद्धांजलि होगी .
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