Lockdown Hindi Story: प्रेम विवाह के कुछ ही दिनों बाद से ही उन दोनों में छत्तीस का आँकड़ा हो गया था और बात तलाक की ओर बढ़ रही थी। जब कि कोई दूर से देखे तो कहे, इनसे अच्छी सुंदर जोड़ी नहीं हो सकती। बीच में पसर रहे अबोले ने उन्हें अजनबी बना दिया था। वैसे, दोनों की अपनी-अपनी हाई-फ़ाई नौकरी के चलते, व्यस्तताएँ थीं। यहाँ तक कि विवाह की पिछली दोनों वर्षगाँठ पर भी समय एक साथ न बिताया था। आज तीसरी एनिवर्सरी थी। कोरोना में ‘वर्क फ्रॉम होम’ के कारण उन्हें रात-दिन साथ रहना पड़ रहा था।  

“मेधा, चाहो तो तुम्हे मायके छोड़ आऊँ ?”

“क्यों नज़दीकी बर्दाश्त नहीं हो रही क्या ? या प्यार से डर रहे हो।”

“ऐसा कुछ नहीं है। बस, सोचा तुम जो अक्सर दूर-दूर छिटकती रहती हो, रात-दिन साथ रहने में बहुत मुश्किल हो रही होगी।”

“सच कहूँ राहुल, काफी दिनों से तुम्हारा साथ चाह रही थी, लेकिन सोचती रही कि तुम प्यार की भाषा समझोगे या नहीं ?”

“यार ! मैं भी यही चाहता था पर … तुम्हारी ईगो को चोट ना लगे, यही सोचता रहा। मैं क्या जानता नहीं कि तुम जैसी बुद्धिमान और मोहक, लाखों में एक होती है।”

“वाऊ ! शादी के पहले वाला डायलॉग। तुम्हारे इंटलेक्ट का जवाब नहीं ।”  दोनों के बीच लम्बे समय से चला आ रहा अबोला पल भर में विलीन हो चुका था। 

“थैंक्स बोलूँ क्या ?” चेहरे पर स्निग्ध-सी मुस्कान थी।  

“नो वे। ‘सॉरी’, ‘थैंक्स’, ‘प्लीज़’ की औपचारिकताओं ने जीवन नीरस कर दिया है। अब तो   … “

“अब तो क्या ? ” आँखों में शोखी और प्यार भरा आमंत्रण था।  

“अब सिर्फ मौन की भाषा …”  कहते हुए वह पास खिसक आई थी और वे दोनों अगले पल ही आलिंगनबद्ध थे।

“थैंक्यू मेधा … “

“थैंक्यू मुझे नहीं  …”

“अरे हाँ ! “

फिर दोनों के मुँह से एक साथ निकला –  “थैंक्यू कोरोना !” और दोनों देर तक हँसते रहे थे।       

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