Sachchaee Hindi Story: मोबाईल के स्क्रीन पर दीदी का नाम देखते ही नेहा ने फोन उठा लिया, “हाँ दीदी, बोलो सब ठीक हैं, आप, जीजाजी|”

“हाँ नेहा सब ठीक है, आज अखबार में फिर हेमंत की फोटो छपी है| बधाई हो|” 

“हाँ दीदी हमारा हेमंत कोरोना वोरियर है|”

“नेहा तुम्हारे ऊँचे कद के कारण तुम्हारे सामने शायद कभी कह न पाऊं इसलिए फोन पर तुमसे माफ़ी मांग रही हूँ|”

“किसलिए दीदी?”

“अपने उस अपराध के लिए जो तीस साल पहले हमसे हो गया था|”

“दीदी छोड़िये वो सब, अब तो हम जिन्दगी के उस मोड़ को बहुत पीछे छोड़ चुके हैं|”

“नहीं नेहा, मुझे आज सब कह लेने दे| मुझे अब भी वो मनहूस दिन याद है, जब मैंने हेमंत को जन्म दिया था| डॉक्टर के यह बताने पर की वो सामान्य नहीं किन्नर है तो मैं और तुम्हारे जीजाजी निराश हो गये थे| हमने तो उसका मुँह देखना भी गंवारा नहीं किया| बड़ा  बेटा अखिलेश तो हमारे पास है सोच, उस अबोध को अनाथ आश्रम में छोड़ने की पूरी तैयारी कर चुके थे | परन्तु तुमने ऐसा नहीं होने दिया उसे अपनी गोद में उठा चुपचाप, पहले अस्पताल फिर शहर ही छोड़ दिया|” 

“अब इन बातों को करने से क्या फायदा|”

“जानती हूँ पर आज मुझे बात कर लेने दे जब से तुम सब वापस इस शहर में आये हो मेरे दिल का बोझ हर दिन बढ़ता ही जा रहा है| नेहा सब कुछ जानते हुए भी रवि ने तुझसे शादी की ओर तुम दोनों की परवरिश देखो, आज हेमंत डॉक्टर बन लोगों का जीवन बचा रहा है|”

“दीदी, वो बहुत प्यारा है सबको खुशियाँ बाँटना ही उसका एकमात्र लक्ष्य है| घर में भी कोरोना के कारण हमसे अलग उसने वो कमरा ले रखा है जिसका दरवाजा बाहर से खुलता है, मैं तो उससे दूर से ही बात कर संतुष्ट हो जाती हूँ| अस्पताल में मरीजो की सेवा के साथ-साथ इस मुश्किल समय में अपने पैसों से सोसायटी के युवको के द्वारा लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था भी करवा रहा है|”

“हाँ अखिलेश के शादी के बाद कनाडा में बस जाने  से हम तो अकेले ही हो गये थे | हमारे लिए भी हेमंत देवता तुल्य है| महीने का राशन, दवा और बिजली, पानी का बिल सब एक बेटे की तरह ही देख रहा है दिन में एक बार फोन में भी हाल-चाल अवश्य लेता है| नेहा तुझसे एक विनती है|”

“बोलो दीदी|”

“तुम हेमंत को कभी यह मत बताना कि हमारा उससे सम्बन्ध क्या है| हम अपराधबोध के साथ आत्मग्लानि के गह्वर में डूब जायेंगे, उस्ससे कभी आँख नहीं मिला पाएंगे|”

“ठीक है दीदी| हेमंत के आने का समय हो रहा है बाय|” कह फोन रखते नेहा सोच रही थी परन्तु दीदी हेमंत तो सच्चाई जानता है|

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