Paridhi Hindi Kahani: स्कूल के बाथरूम में शर्ट उतारने का वीडियो चंद मिनटों में वायरल हो गया था। पूरे स्कूल में बवाल मचा,बात की जाँच हुई तो लगभग पूरी क्लास दोषी पाई गई। शर्त सबके सामने लगी थी। एक साल का पूरा बैच स्कूल से नहीं  निकाल सकते थे।

उसको ही निकालने का निर्णय लिया गया और निर्णय के क्रियान्वयन से पहले उसे बेइज़्ज़त करने और अपने निर्णय को उत्तम ठहराने की युद्ध स्तर पर कार्यवाही चल रही थी।

मैं स्तब्ध थी और जो घट रहा था उसे सोखने के प्रयास में थी। चाहते हुए भी मुझे भी वह वीडियो भेजा गया और अपना मत रखने के लिए दबाव बनाया गया। वीडियो खोला तो दंग रह गयी। कुछ सेकंड के वीडियो में मजबूरी, दुख, गुस्सा, शर्म सब भाव लड़की के चेहरे पर आते रहे थे। पर क्या किसी और ने देखा ही नहीं? किसी की नजरें चेहरे पर पहुँची ही नहीं?

हिटलर नाम से प्रसिद्ध सीनियर मैम ने चार कदम आगे बढ़  चपत के साथ गालियाँ तक दे डाली।

मेरी बारी आई तो सिर्फ एक प्रश्न किया, “ठीक है सब हो गया स्कूल से निकाल दिया गया। अब आगे क्या.. आगे क्या करना है, दिमाग मे क्या चल रहा है?”

ज़मीन में धँसी नज़रों से ही उसने उत्तर दिया ,“नहीं, अंधेरा है बस। आगे जीने की भी इच्छा नही है मैम।

उसके बात खत्म होते ही कई आवाज़ें मर जाने को बेहतर बताती सुनाई दीं।

मैंने उसे नज़रे उठाने के लिए कहा और बोला,” वो एक चीज़ क्या है, जो खो दी है और वापस मिल जाए तो जी सकोगी ?”

हॉल में सन्नाटा छा गया। उसने भी अचंभित नज़रों से मुझे देखा।

बोलो ? क्या खोया है, हमारी नज़रों में इज़्ज़त, स्नेह, तो इस क्लास के सब बच्चों ने भी खोया है। सब तो नहीं मरना चाहते।

नहीं, मुझे तो सबने ऐसे देख.. मेरी देह .. खुद से घृणा..” रोते रोते उसकी उखड़ती सांस उसका साथ नहीं दे रही थी।

बहुत देर से चुप खड़ी गीता मैम पास कर बोलीं,” बस देह का उघड़ना! ऐसे तो यहाँ उपस्थित हर शादीशुदा महिला को मर जाना चाहिए। तुमने जो किया खुद किया। देह तुम्हारी परिधि नहीं है, आगे ज़िन्दगी इससे अधिक है। यह एक सीख है, तुम्हारे संघर्ष की कहानी बनेगी। इसे आगे बढ़ सकी तो जीवन सफल हो सकेगा। तुम्हें तय करना है लड़ना है या हार जाना है।

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