Overdose Hindi Kahani: “मैंने तुमसे पचास बार कहा कि माँ की तबीयत ठीक नहीं है, ऐसी स्थिति में उन्हें छोड़कर मैं नहीं जा सकता” अमित बेबसी भरे स्वर में बोला।
“तो क्या हम अपना कैरियर बर्बाद कर देंगे?” नमिता चीखी।
“कैरियर माँ-बाप से बड़ा नहीं होता। खाने-पहनने का ज़रिया इस क़स्बे में भी पर्याप्त है।”
“लेकिन हमारे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई?”
“मत भूलो मैं भी यहीं से पढ़लिख कर उस महानगर तक पहुंचा हूँ।”
“और हमारे लाइफ़स्टाइल का क्या?”
“यार हम इतने स्वार्थी नहीं हो सकते, कल को हमारे बच्चे भी हमारे साथ ऐसा ही करने लगे तो सोचो! कैसा लगेगा?”
“माँ भी तो हमारे साथ जा सकती हैं?”
“अब वे नहीं जाना चाहतीं तो मैं क्या कर सकता हूँ? उनकी पूरी ज़िन्दगी इस घर इस शहर में कटी है।”
“तुम्हें जो ठीक लगे वह करो लेकिन मैं इस नर्क में नहीं रह सकती। या तो कोलकाता वापस चलो या फिर हमारे-तुम्हारे रास्ते अलग। यह मेरा अंतिम फैसला है। मैं अपने घर परिवार बच्चों और कैरियर से समझौता नहीं कर सकती। मुझे तुमसे तलाक़ चाहिए तलाक़।”
एक हफ़्ते से यह नोक-झोंक अपने कमरे से सुनते-सुनते बीमार माँ तंग आ चुकी थी। “अब बर्दाश्त नहीं होता” बुदबुदाते हुए वह किसी निर्णयात्मक स्थिति में आ गयी। दूसरे दिन अमित माँ को जगाने कमरे में आया तो माँ मृत पड़ी थी। उसने बदहवास पूरे कमरे में नज़र डाली तो माँ की दवाई के सारे पत्ते ख़ाली पड़े हुए उसका मुंह चिढ़ा रहे थे। माँ दवाइयों का ओवरडोज लेकर अपने बच्चों का घर टूटने से बचाने के लिए दूसरी दुनिया में जा चुकी थी।
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