Lockdown Emotional Short Story

बिरजू अपने चार बच्चों और  बीवी को रिक्शे पर लादे घसीट रहा था | बीबी बच्चे बैठे नहीं थे , लेटे भी नहीं थे , बस लदे हुए थे किसी सामान की तरह . उनके  पेट, पीठ से जा मिले थे . चार दिन से भूखे थे सभी |  बिरजू के पाँव की आधा जोड़ी  चप्पल घिस कर इतनी रह गई थी जितनी फोल्ड कर खाने के बाद बच्चे के हाथ में रोटी रह जाती है  | चारों ओर का घेरा ही बचा था बस |  साइकिल रिक्शा  के  चारों पाँव पंचर हो कर ऐसे मटक रहे थे जैसे कोई  शराबी गिरने से पहले बल खाता है | चारों ओर पुलिस की गाड़ियाँ चील की तरह मंडरा रही थीं

| वह इधर से जाता तो पुलिस रोक लेती उधर से जाता तो भी | अब तो मार खाने की हिम्मत भी शेष न थी बिरजू में . बस किसी तरह बचते बचाते चला जा रहा था | अचानक मीडिया वाले उसके सामने न जाने कहाँ से आ धमके ! उन्होंने अपने केमरे से उसे निशाना बनाते हुए हमला बोल दिया “अपना नाम बताइए ?” “बिरुजू “ आप कहाँ से आ रहे हैं और  कहाँ जा रहे हैं ? सरकार हर रोज चिल्ला- चिल्ला कर कह रही है …लॉक डाउन है , कोरोना का खतरा चारों ओर मंडरा रहा है | आपको मरने से भी डर नहीं लगता ? सरकार कह रही है  जो जहाँ है वहीँ रहे …आप फिर भी चले जा रहे हैं ?”  पत्रकार ने आक्रामक होते हुए उस पर सवालों की बोछार कर दी थी , वह आगे बोली “क्या आप  सरकार पर विश्वास नहीं करते हैं ?” बिरजू का सब्र अब जवाब दे रहा था , उसने कहा  “कौनो  सरकार ?” कैसी  सरकार ! किस ने कहा ? कहाँ कहा ? हम को नहीं न मालूम ! और मरना तो है इ न ! कोरोना से बच गए तो भूख से मर जाई है ! कम से कम अपने घोर में तो मरी हैं “ बिरजू अपनी छोटी- छोटी आँखों को बमुश्किल खोलते हुए बोला . उसके मुंह से निकला एक- एक शब्द ऐसे लग रहा था मानो किसी गहरे कुएं से कोई बोल रहा हो | ” सरकार हर रोज टीवी पर कह रही है , आपने नहीं सुना ?” पत्रकार ने फिर हमला बोला | “हम कहाँ से सुनेंगे हमरे पास टीवी कहाँ है ?”  “फोन तो रखते होंगे न आप ?” हाँ इ है इसमें फोनो इ होत है !! कोई आए जाये तो सुन लेत हैं , करना बी नाही जानत है !! “ उसने साधारण सा एक घिसा-पिता फोन दिखाते हुए कहा |

लड़की हाथ में माइक लेकर केमरे के सामने खड़ी हो कर केमरे पर बरस पड़ी  “देखिये ये हैं बिरजू …इन्हें बिहार जाना है , चार दिन से इस टूटे-फूटे रिक्शा पर अपने परिवार को लादे जा रहे हैं | इनका कहना है पुलिस इन्हें जाने नहीं देती और इनके पास अब खाने के लिए भी कुछ नहीं है | इनके बच्चे चार दिन से भूखे हैं |” रिपोर्टर ने एक बच्चे को ओर मुखातिब होते हुए पूछा “बच्चे तुम चार दिन से भूखे हो तुम्हें कैसे लग रहा है ?’’ और माइक उसकी ओर बढाया | वह बड़ी देर से इसी इन्तजार में था | उसने झपट कर माइक उसके हाथ से छीना और मुंह में डाल कर उसे चबाने लगा | उसे लगा था यह कोई खाने की चीज है | रिपोर्टर हड़बड़ा गई ! वह वहां से दूर हटते होली “पागल बच्चा” | इसी बीच  केमरे वाले ने इस दृश्य का क्लोसअप अपने केमरे में कैद कर लिया |

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