Anubhav Hindi Kahani: मयंक जैसे ही रेस्तोरां से बाहर निकला,एक 14-15 साल का लड़का फटे पुराने ड्रेस में उसका रास्ता रोककर सामने आकर खड़ा हो गया और बोला “बाबूजी! सुबह से कुछु नहीं खाया हूं….बड़ी तेज भूख लगा है, खाना खिला दो ना!”

तभी कोई अंदर रेस्तोरां से बाहर आकर बोला – अरे! साहब…इनके चक्कर में मत पड़ो।सुबह से दो लोगों ने इसे खाना खिला रखा है,पता नहीं कितना बड़ा पेट है साले का!…चल भाग यहां से।

अरे! कोई बात नहीं भैया,खाना खिलाने में कोई दिक्कत नहीं….एक थाली खाना दे दो,आप! मैं पैसे दे देता हूं….फिर,मयंक ने उस लड़के को कहा-जाकर खाना खा ले।

थोड़ी देर बाद लौटते वक्त मयंक की नजर उस लड़के पर पड़ी,जो किसी से भीख में पैसे मांग रहा था।

मयंक उसके पास जाकर पूछा- ” मैंने तुझे खाना खिलाया था ना! फिर क्यों भीख में पैसे मांग रहा है।और तूने मुझसे तो पैसे नहीं मांगे थे।बोल….”

लड़का जवाब में बोला -“साहब…अपुन,चार साल से इस धंधे में है।अब शक्ल देख कर समझ जाता हूं कि कौन चिल्लर देगा,कौन खाना खिलाएगा,कौन अच्छे पैसे देगा और कौन खाली पीली समय बर्बाद कर लेक्चर पिलाएगा की भीख क्यों मांग रहा है,पढ़ाई कर…..” मयंक उस लड़के के काम समझने की कला पर मुग्ध होकर,थोड़ा मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गया।

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