Naksha Hindi Story: किराये के मकान मे जीवन के अधिकांश सुख-दुख काट देने वाले क्लर्क पिता ने रिटायरमेन्ट की दहलीज पर कदम रखते-रखते अपना सबसे बडा स्वप्न पूरा कर लिया-एक अदद घर का सपना ! व्यस्त शहर से हट कर एक कम बस्ती वाली जगह मे उसने बड़े-बड़े चार हवादार कमरे, आंगन बरामदे वाला ‘सपनो का महल‘ बनवा कर खडा कर दिया। भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक कमरा अपने लिए और शेष तीन तीनो बेटो के लिए। भले इसके एवज मेे उसकी जीवन भर की जमा पूंजी होम हो गयी, फिर भी वह बेहद संतुष्ट था। अपनी छत के नीचे लेटकर पहली बार उसे जो गहरी-निर्मुक्त नीद आयी, वो अब तक उसके लिए दुर्लभ थी।

समय बीता। परिवार बढा। लडके बाल-बच्चेदार हो गये। पत्नी बहुत पहले स्वर्ग सिधार चुकी थी। धीरे-धीरे उसके मकान के आस-पास घनी बस्ती बस गयी। हवादार कमरो मे अब ठंडी हवा के झोकों का आना थम गया। गर्मी के दिनो मे बेहद उमस रहने लगी।

एक दिन बड़ा बेटा अपने कमरे के लिए ए0सी0 खरीद लाया। फिर दोनो भाईयो ने भी बडी तत्परता से बड़े का अनुसरण किया, लगा, जैसे इसके लिए घात लगाये बैठे थे।

………… अब अपने कमरे मे गर्म हवा उगलते पंखे के नीचे लेटा पिता अधेडबुन मे है। वह समझ नही पा रहा थ कि आठ साल पहले नगरपालिका से तो उसने एक मकान का नक्शा पास कराया था, फिर आज उसमे से तीन-तीन मकान कहां से निकल आये। उस रात वह बस करवट ही बदलता रहा और सो नही पाया। आठ साल बाद उसे एक बार फिर महसूस हुआ, जैसे वह किराये के मकान मे आ गया हो।

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