Posted inकविता, साहित्य

बोलती दीवार

अक्सर सुनते आए हैं दीवारों के भी कान होते हैं मगरमन के भाव दीवारों से लोग भला कब साझा करते हैंलेकिन बच्चे तो बच्चे हैंदीवारें तक बन जातीं हैंखेल खेल में इनके साथीबच्चे अब दीवारों से खूब बतियाने लगे हैंदीवारें भी जीवंत होने लगी हैंकोशिशे रंग लाने लगी हैंदीवारें बोलने भी लगी हैंबोलती दीवारें देखनी […]