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श्रद्धांजलि

बहन के श्वसुर साहब की मृत्यु हो गई तो अमरीश जी माता जी के साथ तेहरवीं पर गये। श्वसुर साहब का अपने नगर में बहुत नाम था, बहुत लोग आए हुए थे। पंडित जी प्रवचन के उपरांत श्वसुर साहब के बारे में ही बता रहे थे— “बहुत भले व्यक्ति थे। कभी किसी का बुरा न […]

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हिज़ाब

मिस्त्र के पिरामिड देखने गए थे। इसी सिलसिले में एक दिन वहाँ की लोकल बस में यात्रा करनी पड़ी। श्रीमति जी को बाहर के दृश्य बहुत भाते हैं तो वह विंडो सीट पर थीं, हमारा 5 वर्षीय नटखट पुत्र, पारस, हम दोनों के बीच बैठा था। वह बोर होकर वह खड़ा हो गया। हम मुस्कुरा […]