कोरोना के समय संचालित मौहल्ला कक्षा में आ कर वद्धा ने कहा, ”आप से एक प्रार्थना है.”
” जी. कहिए !” शिक्षक ने अभिवादन के साथ कहा.
” इणे निवोदय की गनित भणा दीजौ,” वह अपनी भाषा में बोली.
” वह तो मैं पढ़ा दूंगा. आप इसे रोज मौहल्ला कक्षा में भेज दीजिएगा,” शिक्षक ने सुझाव दिया, ” यह जिस विद्यालय में पढ़ता है वहां के शिक्षक से पढ़वाते हैं तो इस का आसानी से नवोदय विद्यालय में प्रवेश हो जाएगा.”
” जी. आप चिंता कौणी करो,” वृद्धा ने धीरे से हाथ जोड़ते हुए निवेदन किया, ” मु जाणु हुं. आप भणा सको,” यह कहते हुए वह रूकी. फिर बोली,” आप ने मु हउ रिसत दुंगा.”
शिक्षक रिश्वत की इस नई परिभाषा सुन कर चौंका, ” रिसत!”
” हां जतरा मांगोगा वतरा.”
दोबारा यह सुन कर शिक्षक का हाथ माथे पर चला गया.
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