Svachchhata Divas: उस सरकारी स्कूल में गाँधी जयंती का दिन विशेष रूप से स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता था .पांचवीं से दसवीं क्लास तक के विद्यार्थी अपनी अपनी कक्षाओं की खूब अच्छी तरह से सफाई करते . सारे टेबल कुर्सियां बाहर निकाले जाते , फर्श को पानी से पोंछा जाता , टेबल कुर्सियों को कपड़े से साफ किया जाता फिर सबको बड़ी तरतीब से एक कतार में लगाया जाता .कुछ उत्साही बच्चे घर से फूलदान ले आते . गुलदस्ते को टीचर की टेबल पर सजाया जाता .ब्लैक बोर्ड को साफ़ सुथरा कर अनमोल वचन लिखे जाते . कुछ बच्चे क्लास के बाहर सुंदर रंगोली भी बना देते . जिस क्लास की सफाई सबसे बेहतर होती उसे पुरस्कार दिया जाता .

इस वर्ष भी बड़े उत्साह से बच्चे सफाई कार्य में लगे थे .तभी टीचर ने देखा छठी कक्षा की एक लडकी चुपचाप एक तरफ बैठी है.कुछ डाँटते हुए उन्होंने पूछा  – ‘तुम यहाँ क्यों बैठी हो ? सब काम कर रहे हैं ,उनकी मदद करो ,अपनी क्लास को स्वच्छ करने में उनको हाथ बंटाओ..’वह बच्ची पहले तो कुछ सहम गई फिर हिम्मत जुटाकर बोली –‘ टीचर जी , मैं रोज अपनी मां के साथ शीला आंटी के घर झाड़ू पोंछा , बर्तन कपड़े धोने जाती हूँ , वहीँ से स्कूल आती हूँ .आज मां को बुखार था मैं अकेली सारे काम करती रही . बर्तन धोते समय कांच का गिलास टूट गया और हाथ में चुभ गया . बहुत दर्द हो रहा है ….’.

उसने अपना हाथ टीचर के सामने कर दिया . गहरा चीर लगा हुआ था और उसके आसपास हल्की सी सूजन भी थी

‘तुम्हारी शीला आंटी ने दवा नहीं लगाई ?’उन्होंने पूछा

‘नहीं , वो तो मुझे डांटने लगी सौ रूपये का गिलास तोड़ दिया तुम्हारी तनख्वाह में से काटूँगी …..’. बच्ची की आँखें भर आई थीं . टीचर की आँखों के समक्ष अपने घर का दृश्य तैर आया .अगले ही क्षण उन्होंने फैसला कर लिया अपने घर में काम करने वाली महरी के साथ उसकी आठ नौ वर्षीय लडकी से अब वे काम नहीं कराएंगे. उसका दाखिला स्कूल में करवाएँगे तथा उसे पढाई में मदद भी करेंगे .

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