Budhiya, Beta or Bahu Hindi Kahani : एक थी बुढ़िया। पूरे एक सौ साल की। उसके पति की मौत हो चुकी थी। उसका बेटा और बहू बहुत दूर देश जा बसा था ।बेटे के बेटा भी हो गया था।
बुढ़िया गांव में अकेली रहती थी। जंगल से लकड़ियां बीन लाती और घास काट लाती। घास गाय को खिलाती ।दूध दोहती और लकड़ियां जला कर रोटियां सेंकती। सुबह जंगल जाती। घास काटती और लकड़ियां बीनती।
एक दिन उसने जरूरत से ज्यादा घास काट ली। घास का गट्ठर जब उठाने लगी तो गट्ठर उठा ही नहीं। थक हार कर बुढ़िया बोली_अरे मेरी तो मौत भी नहीं आती जो सब दुखों से छुटकारा मिल जाए।
तभी अजूबा हुआ। मौत आ गई। बोली_ अम्मा चल मेरे साथ।
बुढ़िया हड़बड़ा गई। बोली _ तू कौन? मौत बोली_ अरे मै तेरी मौत,जिसे तू बुला रही थी। चल मेरे साथ। बुढ़िया बोली_अरे बेटा,मै तो ये घास का गट्ठर उठवाने के लिए बुला रही थी। और बुढ़िया ने एक झटके से घास का गट्ठर उठाया और सिर पर रख कर घर चली गई।
रात को बुढ़िया ने खाना बनाया और खा पीकर सोने के लिए खाट में लेटी की मौत फिर आ गई। बोली_अम्मा चल मेरे साथ। तेरे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।
बुढ़िया ने मोबाइल फोन उठाया और एम्बुलेंस बुला ली। बोली_अभी बीमार हूंj जब ठीक हो जाऊंगी तब चलूंगी।
दो चार दिन बाद बुढ़िया अस्पताल से लौट आईं तो एक रात फिर मौत आ धमकी। _अम्मा,अब तो चल मेरे साथ। बुढ़िया बोली_ नहीं बेटा अभी तो मेरा बेटा बहू और पौत्र विदेश से आने हैं। जब उनसे मिल लूं ,तब चलूंगी।।कुछ दिन बाद बुढ़िया के बेटे बहू और पोता विदेश से गांव आ गए। बुढ़िया बहुत खुश। कई दिन हंसी खुशी में बीत गए।
तभी एक रात फिर मौत आ खड़ी हुई। _अम्मा अब तो तुमने सारे दुख सुख देख लिए अब चल मेरे साथ।
बेटे ने अपनी में से पूंछा_ ये कौन है? मां बोली_ मेरी मौत है। लेने आई है। पर मै इसके साथ नहीं जाऊंगी।
बेटा बोला_ अरे अम्मा हम लोग तो कुछ दिन के लिए ही गांव आए थे। दो एक दिन में वापस चले जाएंगे तो तू फिर अकेली रह जाएगी। दुख उठाएगी। तू मौत के साथ चली जा ।तेरे सारे दुख दूर हो जाएंगे। फिर रोज रोज फोन कर तुम हमें परेशान भी नहीं करोगी। हम ये घर और खेत बेंच कर अमेरिका में तेरे पोते के लिए घर खरीद लेंगे। बुढ़िया ने निराश और उदास नज़रों से बेटे और बहू की तरफ देखा। वे दोनों चुप खड़े थे।
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