Radhika Hindi kahani : राधिका गाँव से आधे घण्टे का रास्ता तय करके अपने स्कूल मे जाती थी। वह छठी कक्षा की छात्रा थी । माँ हमेशा बेटी के घर पहुंचने से पहले उसके लिये नाश्ते – पानी की ब्यवस्था कर लेती थी , ताकि उसे इन्तजार न करना पड़े ।
एक दिन किसी कारण से माँ जब खेत से विलम्ब से लौटी तो राधिका तबतक पहुँच चुकी थी ,आँगन मे सुबह से पड़े जूठे बर्तनों को माजकर आटा गूँद रही थी , ताकि माँ के आने से पहले मैं रोटी बना लूँ और माँ को परोसते हुये कहूँ कि आज मेरी आढ़ी तिरछी बनी हुई रोटियों का स्वाद चखो ।
इसी बीच जल्दी – जल्दी कदम बढ़ाती माँ ने तरीके से धुलकर सुखाने के लिये रखे बर्तनों को देखा तो ढंग से समझ न पाई कि यह ……….! अन्दर जाकर आटे से लथपथ सने हाथो वाली बिटिया को गले से लगा लिया । आँखों से अश्रुधारा और दिल मे विचारों का अंबार ! माँ के ये खुशी के आँसू बतला रहे थे कि अब हमारी बिटिया जिम्मेदारी उठाने लायक हो गई है ।
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