Gorakh dhandha Hindi Story: राम सिंह पहली बार दिल्ली आया था|| वह अंतरराज्यीय बस अड्डे पर उतरा| उसने डीटीसी की एक बस पकड़ी और अपने गंतव्य की ओर चल पड़ा| सीट मिली| वह बैठ गया| उसने सिगरेट सुलगा ली| अभी एक-दो कक्ष ही लिए थे कि ड्राइवर काकर्कश स्वर सुनाई दिया,“क्यों बे! देखता नहीं, लिखा है ‘बस में बीड़ी सिगरेट पीना मना है’ ऐसे सिगरेट पी रहा है, जैसे बाप की बस हो| राम सिंह खून का घूँट पीकर रह गया| सिगरेट बुझा दी|
वह सोचने लगा,‘शायद दिल्ली में बसों में सिगरेट पीना सचमुच मना है| वरना बसों में तो बहुत कुछ लिखा रहता है, कौन परवाह करता है? शाम को काम निपटाकर रामसिंह डीटीसी की बस से वापस अंतरराज्यीय बस अड्डे जा रहा था| सिगरेट की तलब उठी| पिछले कटु अनुभव ने हाथ रोक दिया, तभी अगले गेट से एक व्यक्ति चढ़ा| उसने दो बीड़ीसुलगाई| एक ड्राइवर को दी, दूसरी खुद पीने लगा| राम सिंह ने देखा; बस में लिखा था – ‘बस में बीड़ी सिगरेट पीना मना है|’ दिल्ली का यह गोरखधंधा उसकी समझ में नहीं आ रहा था|
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