एक दिन सवेरे उठकर वह नित्यकर्म से निवृत्त होकर  वॉशबेसिन पर हैंड वॉश करने लगा ,तभी उसकी नज़र एकाएक वॉशबेसिन के सामने लगे बड़े से आईने पर पड़ी। वह एकबारगी चौंक सा पड़ा।सिर और मूंछों के बालों की सफेदी के साथ तांबई  रंग जैसा मुरझाया सा चेहरा उसे सामने दिखाई दिया।

    उसने चौंक कर पूछा –,”कौन हो तुम?”अधेड़ सा  जैसा लगने वाला वह चेहरा हंसा और बोला -,”मैं तुम ही तो हूं ,तुम्हारा आज ,तुम्हारा वर्तमान।”

     वह झुंझला गया ,”क्या बकते हो?तुम मेरा प्रतिरूप  हो, हरगिज़ नहीं। झूठ बोल रहे हो तुम।…वह हकला सा गया।मैं ..मैं  तो एक गोरे रंग का खूबसूरत व्यक्ति हूं। कॉलेज में लड़कियां मुझे कनखियों से देखा करती थीं। मैंने पहले पहल कभी अपने आप को खूबसूरत नहीं माना। मगर एक दिन कॉलेज में एक लड़के से मेरी तू… तू मैं… मैं हो गई। अगले दिन मेरा एक मित्र आया और उसने बताया कि वह लड़का तुम्हारी बहुत बुराई कर रहा था ।

मैंने पूछा, “क्या बुराई कर रहा था ?”तब उसने मुझे बताया कि वह कह रहा था कि तुम जितने ऊपर से गोरे हो, अंदर से उतने ही दिल से काले हो ।मुझे तब पहली बार यह एहसास हुआ कि मैं गोरी रंगत का नौजवान हूं ।फिर मैंने आईने में अपने आपको देखा था। मैंने पहली बार महसूस किया कि वाकई में मैं खूबसूरत हूं ।मुझे उस लड़के की बुराई करना बिल्कुल बुरा नहीं लगा। मुझे लगा मानो उसने मेरी किसी छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर दिया हो।”

      आईना उसकी बात ध्यान से सुनता रहा । फिर बोला-,” यह समय का चक्र है, उस से कौन बच पाया है ?अब तुम सीनियर सिटीजन बनने की कगार पर खड़े हो। तुम सच्चाई को स्वीकार क्यों नहीं कर लेते?”

     वह आईने  से दहाड़ा ,”तुम समझते क्या हो, कल भी समय मेरे साथ था और आज भी मेरे साथ है ।मेरे पास आज बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है …अभी वह बात पूरी नहीं कर पाया था कि आईना बीच में बोल पड़ा–,”और माँ कहां है?”

     मां वह जैसे सोते से जागा। मां ,कहां है? अरे मां तो 25 साल पहले मुझे इस निष्ठुर संसार में अकेले छोड़कर परलोक चली गई थी। मैं बहुत रोया था ।मैं सोचता था, मां के बगैर मैं जिंदा कैसे रह सकता हूं? मगर आज 25 वर्ष बीत जाने के बाद… मैं आज भी जीवित हूं ।

मुझे खुद आश्चर्य होता है मैं अब तक मां के बगैर कैसे जी लिया ?” उसने सामने आईने की तरफ देखा ।उस अधेड़ की आंखों से अविरल आंसू बह रहे थे, जो उसके चेहरे को भिगो रहे थे।

इतने में आहट हुई ।उसकी पत्नी वॉशबेसिन पर प्रकट हुई ।उसने पति को देखा और वह चौंक पड़ी ।”क्या हुआ तुम्हें ?”रो क्यों रहे हो?” इतना कहकर उसकी पत्नी ने उसे गले से लगा लिया और बोली -“मेरे होते हुए तुम्हें किस बात की कमी है? बताओ, क्या बात है?” उसे अक्समात अपनी मां की याद आ गई ।

जब भी वह किसी परीक्षा में असफल होकर  आता था तो मां उसे इसी तरह बाहों में भर लेती थी और कहती,” जब तक मैं जिंदा हूं तुझे किस बात की परेशानी है?” और आज… उसने रूंधे हुए गले से पत्नी से सारा वृत्तांत कह सुनाया ।पत्नी हंसते हुए उसका हाथ पकड़कर उसे ड्राइंग रूम में ले गई ।

करीब  दो घंटे के बाद वह नहा धोकर आईने के सामने था। सिर और मूंछो के   काले बालों के बीच महंगी फेस क्रीम लगा उसका गोरा  रंग चमचमा रहा था । उसने आईने की तरफ देखा । आईना अब मुस्कुरा रहा था।

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