घने हरित लान मेंपेड़ था एक बरगदका ।बहुत से नए पत्ते निकल आए थे उस पर । जब-जब नए पत्ते निकलते कुछ और पीले पत्ते झर जाते थे ।एक दिन अपनी स्थिति से दुखी होकर उन्होनेअपने साथियों की मीटिंग बुलाई । मीटिंग में पीले पत्तों ने रूढ़िवादी कहे जाने पर अपना विरोध जताया ।
उसी समय तेज रफ्तार से एक कार गुजरी । मीटिंग छोड़ सभी पीले पत्ते कार के पीछे –पीछे हो लिए।कनखियों सेएक दूसरे साथी को देखते हुएपीले पत्ते नए पत्तों के पास गए और “कहा देखो हम कितने गतिशील और प्रगतिशील हैं।“ कुछ देर तो नए पत्ते चुप रहे फिर उन्होनेकहा “दादा पिछलग्गू बनना प्रगतिशीलता नहीं है।“ पीले पत्तों और नए पत्तों में अब भी विमर्श जारी है | और बरगद शांत व स्थिर है |
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