Patakatha: सड़क पर अचानक एक स्कूटी स्लिप हो गई ।
वैसे तो यह एक आम बात थी । राह चलते लोगो को अक्सर भीड़ भाड़ वाली जगहों पर ऐसा मंजर दिख जाता है ।
चूंकि स्कूटी सवार दोनो नव युवतियां थी । लिहाजा मदद करने वाले लोगों की भीड़ जुट गई।
कोई स्लिप हो चुकी स्कूटी को खड़ा करने में जुटा,
तो कोई युवतियों को सहारा देने की जुगत में लग गया।
मददगारों में मदद करने की मानो होड़ मच गई ।
पानी की बोतल आ गई ,कॉफी आ गई । दवाई से लेकर अस्पताल पहुंचाने के लिए कई लोग आगे आ गए ।
उन सभी तथाकथित मदद करने वालों के मंसूबों पर तब पानी फिर गया जब वे दोनों युवतियां अपने कपड़े झाड़ कर खड़ी हो गई ।
” आप लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया, हम लोग ठीक हैं ,अब आप लोग जा सकते हैं ।”
कहते हुए वे दोनों लड़कियां स्कूटी पर सवार होकर अपने रास्ते चली गई । भीड़ धीरे-धीरे छंटने लगी थी ।
पर तभी फिर से कोहराम मच गया । स्पर्श- सुख के चक्कर में जो लोग मदद करने के लिए इकट्ठे हुए थे, यह चीख-पुकार उन्हीं लोगों की थी ।
उनकी जेबों से रुपयों से भरे पर्स और मोबाइल गायब हो चुके थे । अब उनकी समझ में आ रहा था कि स्कूटी गिराकर रची गई पटकथा मैं वे मोहरे बन चुके थे ।
Republish this article
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NoDerivatives 4.0 International License.