‘बेटा आठ – दस दिन पहले ही तो तू गया था ,फिर आगया ?’

       ‘माँ जब से  छोटे भाई पवन की मौत हुई है,मुझे आपकी चिता लगी रहती है ,आप कहें तो मैं अपना ट्रांसवर इसी शहर में करा लूँ ? ’

‘नहीं बेटा तुम जहाँ हो वहीँ ठीक हो .तुम्हारे दोनों बेटे उसी शहर में जन्मे ,पले – बढे हैं .अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं .उन्हें वहां से हटाना ठीक नहीं होगा .’

‘ माँ मेरी पत्नी को मरे सात साल हो गए ,आपने कभी यह नहीं सोचा कि मेरी दूसरी शादी करा दो . अकेले बच्चों को पालने में कितनी परेशानी होती है यह मैं ही जानता हूँ ’

  ‘तुझ से शादी करा के मैं किसी लड़की की जिन्दगी ख़राब नहीं कर सकती . कानूनन तू भले ही बरी होगया हो पर मैं अब भी तुझे अपनी पत्नी का हत्यारा मानती हूँ ’

     ‘यह आप क्या कह रही हो, उसकी हत्या मैंने की थी ?’

 ‘ घुड़ दौड़ की लत में दस प्रतिशत ब्याज का लालच देकर न जाने कितने लोगों से लाखों का कर्जा ले रखा था,सब तेरे पीछे पड़े थे . फिर बीबी को सताने लगा था कि वह अपने बुजुर्ग माँ बाप से पैसे मांग कर लाये और न लाने पर उसे सताता था .तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली थी..मुझ से कहता है तेरी दूसरी शादी करा दूँ . किस से करा दूं ?’

  ‘ श्रेया को पवन की जगह आफिस में नौकरी मिल गई है ,फ्लैट अपना है और एक बेटी है .हो सकता है कभी वह दूसरी शादी कर ले.फिर आप कहाँ रहोगी ? मेरी उससे शादी करा दो तो मेरे बेटों को माँ मिल जाएगी ,उसकी बेटी को बाप मिल जाएगा और आप इसी तरह रहोगी  ’

‘यह बात तेरे दिमाग में आई भी कैसे? ऐसा कभी नहीं हो सकता ’

‘आप कैसी माँ हो ? क्या मैं आपका सौतेला बेटा हूँ ?’

   ‘मैं यही सोच रही थी कि बच्चों को अकेला छोड़ कर तू जल्दी जल्दी यहाँ क्यों चक्कर लगा रहा है.अब तेरी मंशा पता चली. श्रेया ने पवन के बिना जीना सीख लिया है .उसे किसी सहारे की जरूरत नहीं है . अपना घर ,बच्चे देख और हम को हमारे हाल पर छोड़ दे . अब तुझे जाना चाहिए , मदद की जरूरत होगी तो हम तुझे बुला लेंगे .’ 

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