Jigyaasa: शर्मा जी, देखियें ये उदय के दादा जी आये है।
ये बता रहे है कि हिन्दी के अध्यापक बहुत डाँटतें है, और कुछ पूछनें पर चिल्लाकर सजा भी दे देते है। कल सारा दिन आपने उदय को बेंच पर खड़ा रखा, उदय की तबियत भी खराब हो गयी थी।
प्रिंसिपल साहब ने कहा –
सर उदय बहुत ही
असहनीय है, पाठ पढनें से पहले ही प्रशन पूछनें लगता है।” ये क्या है”? “कैसे होता है”?
“क्यों होता है” ?
“अपनें आप तो पढता ही नही और दूसरें बच्चों को भी पढनें नही देता ….
इसी कारण उसको सजा दी थी”।
“शर्मा जी, ये बात ठीक नही! बच्चों का बाल सुलभ मन जिज्ञासा से भरा होता है
और बच्चों में जिज्ञासा ही उनका आगे का मार्ग प्रशस्त करती है।
क्या एक गुरु होनें के नाते आप बालक नचिकेता की कहानी नही जानते ?
अपनें पिता के क्रोधित होनें पर, यमराज के पास जाकर और जिज्ञासा के कारण यमराज से प्रशन पूछकर, नचिकेता जन्म और मृत्यु के रहस्य के बारे में जान गये थे।
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