दुकान में कुर्सी पर बैठे सेठ जी मोबाईल की आभासी दुनिया में व्यस्त थे। तभी एक ग्राहक आ धमका और सेठ जी के इस सुख में दख़ल देते हुए बोला, ‘एक टूथपेस्ट देना।’ सेठ जी बोले, ‘थोड़ी देर ठहरो अभी स्टाफ का लंच टाइम है।’

ग्राहक बोला- ‘राजमा क्या भाव है ?’ ‘रूको ज़रा.. स्टाफ आता ही होगा।’ ग्राहक-‘अच्छा यह कलम कितने की है।’ सेठ जी तमतमाता कर बोले-‘अभी स्टाफ आ जाएगा तो सब कुछ बता देगा, थोड़ा सब्र तो रखिये जनाब।’ ग्राहक- आप हर महीने कर्मचारियों को कितनी पगार देते है ?’ सेठ जी- ‘यही कोई तीन-चार हजार रुपये महीना।’ ग्राहक- ‘यह तो बिल्कुल नाइंसाफ़ी हुई।’

सेठ जी तपाक से बोले-‘वो कैसे?’ ग्राहक- ‘जब आपकी दुकान के हर सामान की कीमत और ठिकाना आपके स्टाफ को ही मालूम है, आपकों कुछ नहीं पता इस हिसाब से तीन-चार हज़ार रुपये तो आपकों मिलने चाहिए। बाकी का मुनाफा आपके स्टाफ को मिलना चाहिए।’ ये सुनते ही सेठ जी के दिमाग की खिड़कियाँ खुली, झटपट कुर्सी त्यागी, टुथपेस्ट काउन्टर पर रखते हुए राजमा और कलम का भाव बताकर ग्राहक से पूछा- ‘और क्या चाहिए आपको..?

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