Dahi shakkar Short Stories: विदुषी के एग्जाम चल रहे थे।
धारा ने कहा, “विदु जल्दी करो बेटा, एग्जामिनेशन सेंटर पहुंचने में लेट हो जाओगी…”
“मम्मा,आप मुझे दही-शक्कर क्यों नहीं खिलातीं, जब मैं पेपर देने जाती हूं…”धारा ने मुस्कुरा कर पूछा।
“उससे क्या होगा बेटा?”
“मम्मा कल दादी का फोन आया था ना, ऑल द बेस्ट बोलने के लिए।दादीने बोला दही-शक्कर खाकर जाना… पेपर अच्छा होता है…”
धारा कुछ कहना चाहती थी पर चुप रह गई। विदुषी फिर बोली, “और हां, स्वीपर को मना कर देना… मैं जब पेपर देने जाऊं, तो वो सामने नहीं आए…”
धारा देख रही थी कि कुछ दिनों से विदुषी अजीब बातें करने लगी है।
ओफ्फो, निकलते समय भैया ने छींक दिया, अब क्या होगा?एक दिन स्वीपर सामने दिख गया,तो वह बहुत डिस्टर्ब हो गई। धारा समझ नहीं पा रही थी कि इस समय क्या कहे? विदुषी को वह एग्जाम्स के बीच में डिस्टर्ब करना नहीं चाहती थी। दादी को भी गलत कह कर उसके मन में दादी के लिए गलत भावना नहीं लाना चाहती थी।
एग्जाम्स का रिजल्ट आ गया। विदुषि पहले नंबर से तीसरे नंबर पर चली गई थी, और उसकी खास दोस्त अहाना, तीसरे नंबर से पहले नंबर पर आ गई थी।अहाना उस दिन नाइट स्टे के लिए घर आई थी। डिनर के बाद धारा ने कहा, “कांग्रेचुलेशन अहाना।”
अचानक विदुषी ने पूछा, “आही एक बात बता… इस बार तूने इतना इंप्रूव कैसे कर लिया? क्या खाकर जाती थीएग्जाम देने?”
अहाना हंसते हुए बोली, “लंच करके जाती थी यार और क्या!”
“तूने इतना इंप्रूव किया कैसे?”
“विदु इस बार मैंने एक पॉजिटिव अफर्मेशन अपने अंदर रखा हुआ था।”
“क्या?”
“कि मैंने हंड्रेड परसेंट सही पेपर लिखे हैं… मैंने इस बार अपनी स्टडीज को सिस्टमेटिक भी बनाया… मेरी मॉम हमेशा मुझे कहती थी, तू पॉइंट्स लिखकर रख… मैं नहीं करती थी लेकिनइस बार मैंने किया… देट्स इट…”
“वह तो ठीक है अहाना लेकिन दही-शक्कर, ऐसा कुछ खाकर नहीं जाती थी?”
“व्हाट रबिश विदु, मैं नई मानती ये सब।”
धारा ने देखा, विदुषी उदास हो गई है, तो उसकी प्यारी बिल्ली किट्टी को वहां लेआई। विदुषीऔर अहाना बिल्ली से खेलने लगीं।
एक हफ्ते बाद वो लोग नई कार खरीदने जा रहे थे। अचानक किट्टी ऊपर से कूदी और दरवाजे के आर-पार निकल गई।
“किट्टी, रास्ता क्यों काटा? समझ नहीं है तुझे?”धारा जोर से चिल्लाई।
“मम्मा आप किट्टी पर क्यों गुस्सा हो रहे हो? क्या किया उसने?”
“विदू बिल्ली रास्ता काटे, तो बात नहीं बनती है… हम कार खरीदने जा रहे हैं ना! अब क्या होगा?”
“मम्मा वह बिल्ली नहीं है… मेरी फ्रेंड है… माय लवली यंग सिस्टर… माय किट्टी।”
विदुषी किट्टी को उठाकर प्यार करने लगी।
“पर बेटा विदु….”
“यह सब बेकार की बातें हैं मम्मा…आप फालतू के सुपरस्टीशंस में विश्वासमत किया करो।”
“सच्ची मुच्ची!”शरारती मुस्कान के साथ धारा बोली।
“यस मम्मा,सच्ची मुच्ची!”
धारा ने विदु को प्यार से चूम लिया,उसके होठों पर मुस्कान थिरक रही थी।”
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