Bhool Short Story: मोहन के चचेरे बड़े भाई सोहन का कारोबार दिल्ली शहर में बहुत अच्छा चल गया था, इसीलिए वह दिल्ली में अपना मकान बनवा कर अपने परिवार के साथ सेटल हो गए थे।
मोहन का बड़ा लड़का अशोक इस साल इंटरमीडिएट की परीक्षा में जिले में टॉप किया था और आगे की अच्छी पढ़ाई के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी का प्रवेश परीक्षा निकाल चुका था, हालांकि मोहन की मालिक हालत उसे शहर में पढ़ाने की नहीं थी।लेकिन बड़े भाई सोहन का घर दिल्ली में ही था तो वह आश्वस्त था। अपने लड़के को लेकर सोहन के घर पहुंचा।गेट पर बेल रिंग बजाया तो नौकर ने दरवाजा खोला और दोनों घर के अंदर पहुँचे। बड़े भाई से उसने सोहन को पढ़ने के लिए अपने घर में रहने की मिन्नतें की।
यह सुनकर सोहन बोला,… मेरा घर कोई सराय नहीं है जो आया सबको आश्रय दे दूँ।दिल्ली में रहने -खाने का खर्चा नहीं उठा सकते तो काहे पढ़ा रहे हो,…. अब उलटे पाँव घर लौट जाओ। यह तिरस्कार भरी बातें सुनकर उसे अपने भूल का एहसास हो आया कि शहर में भीड़ बहुत पर रिश्ते छोटा और खोटा है। भारी मन से दोनों बाप-बेटे दिल्ली में दूसरे रहने का इंतजाम करने वहां से निकल गए।
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