Apratyaashit :अर्णव बहुत खुश था |वह अपनी मां के पास जा रहा था |कोरोना के कारण वह बिलकुल जा नहीं पाया था |….. वैसे छ: -सात वर्ष हो गए थे उसके मम्मी -पापा अलग ही रह रहे थे |सब घटनाएँ अप्रत्याशित ही घटी थीं |
वह तो दोनों का प्यार चाहता था और चाहता था सब साथ रहें पर कभी कह नहीं पाया |रहता वह अपने पापा के पास था |इस बार उसने सोचा कि वह कुछ दिन मम्मी के पास ही रहेगा |वह खुश था |लेकिन एक बात उसे भी अच्छी नही लगती थी कि उसकी मम्मी सबसे अधिक अपने भाई -बहनों व् बहनों की ससुराल को महत्व देती थी |पहले भी जब कभी वह वहां होता और उसकी बहन अपनी बेटी के साथ आती तो मम्मी उसे भूलकर नन्हीं -नन्हीं करने लगती |
अर्णव खुश था मम्मी के साथ |उसने पापा को फोन किया, “पापा मैं कुछ दिन बाद आऊंगा |”
“…….कुछ दिन बाद ?”मम्मी बोली |
….. हां , आपने खुद ही तो बुलाया था |
…..हाँ पर तुम्हारी मौसी और उसके परिवार का बाहर जाने का प्रोग्राम अचानक ही बन गया है |मुझे भी जाना पड़ेगा | लेकिन मुझे कल जाना है |आज तो रहो |
……उसकी आँखों में आंसू आ गए | …….पापा से क्या कहूँगा ?पहले बताना था |मैं आता ही नहीं| मुझे आज ही घर छोड़ दो |’उसने दृढ़ता से कहा |
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