दिल्ली दंगे का ताप इस छोटे शहर के सिर पर भी चढ़ चुका था। वे तीन थे जो रोज शाम को मिलते थे, हंसते- बतियाते थे। चाय -साय चलता था। टाटा बाई करते हुए वे अपने घर की राह पकड़ते थे। आज भी तीनो मिले। बात पर बात चली। बात का रुख न जाने कब […]
दिल्ली दंगे का ताप इस छोटे शहर के सिर पर भी चढ़ चुका था। वे तीन थे जो रोज शाम को मिलते थे, हंसते- बतियाते थे। चाय -साय चलता था। टाटा बाई करते हुए वे अपने घर की राह पकड़ते थे। आज भी तीनो मिले। बात पर बात चली। बात का रुख न जाने कब […]