Posted inलघुकथा

पालक

दो लड़के हम उम्र थे, यही कोई बारह-तेरह वर्ष के रहे होंगे। वे सुबह अंधेरे- अंधेरे दो घंटे के किराये की साइकिल लाते और घर-घर अखबार पहुंचाते। नौ बजे तक वे सब्जी बेचने चले आते। दस बजे तक वे सब्जी बेचते उसके बाद वे शाम को सब्जी बेचते दिखाई देते। इस बीच शायद वे किसी […]