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और पुल बन गया

‘मीशा, सुबह-सुबह कहीं जाने की तैयारी है क्या?’ ‘हाँ, मम्मा! पापा को तायाजी से मिलवाने जा रही हूँ।’ मम्मा का तमतमाया चेहरा व तनी हुई भवें देखकर मीशा ने पूछा, ‘क्या हुआ, मम्मा?आप ठीक तो हैं? ‘मीशा, तुम अच्छी तरह जानती हो, उन लोगों के यहाँ हमारा आना-जाना नहीं है।अगर वहाँ कोई ठीक से बात […]

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कायान्तरण

‘प्राची, अपनी देह का त्रिभंगी आकार देखा है – झुके हुए कंधे, बढ़ी हुई तोंद, गर्दन-गले की उभरी हुई हड्ड़ियाँ, टेढ़े-मेढ़े कटे हुए नाखून और बाल ऐसे जैसे बालू में से निकाले गए हों। उफ! तेरे हाल पर रोना आ रहा है।क्या किसी नाटक में विदूषक का रोल करती है?कल तक अपनी सुडौलता के लिए […]