मैं धर्म संकट में फंस गया था । क्या करूं, क्या न करूं ? सौ सौ के नोट लूट के माल की तरह कुछ सोफे पर तो कुछ कालीन पर बिन बुलाये मेहमान की तरह बेकद्रे से पड़े हुए थे । इन्हें मेरे गांव का एक किसान यहां फेंक गया था । मेरे लाख मना […]
मैं धर्म संकट में फंस गया था । क्या करूं, क्या न करूं ? सौ सौ के नोट लूट के माल की तरह कुछ सोफे पर तो कुछ कालीन पर बिन बुलाये मेहमान की तरह बेकद्रे से पड़े हुए थे । इन्हें मेरे गांव का एक किसान यहां फेंक गया था । मेरे लाख मना […]