Misaal Hindi Kahani: शांतिनगर मोहल्ले का माहौल शोरमय हो गया। ढोल नगाड़े के शोर में लोगों की ऊंची आवाजें ‘हरी बाबू- जिंदाबाद ‘ गूंज रही थीं।
घर के अंदर सभी सदस्य एक दूसरे को बधाई देते हुए आगत की तैयारी में जुट गये थे।
हरी बाबू आज विधायक बन गये थे और उनकी पार्टी ने उन्हें मंत्री पद प्रदान करने का आश्वासन भी दिया था।
” अरे, बिट्टू!”
” आया माँ। क्या बात है?”
” उनका नारंगी कुर्ता नहीं मिल रहा। प्रेस में गया है क्या?” हरी बाबू की पत्नी उद्वेलित थी।
” बिट्टो!” अपनी बेटी को आवाज़ लगाई उसने। ” देख तो जरा नारंग अंकल आये हैं उनके पास। पानी वानी पूछ ले जाकर।”
वह फिर कुर्ते पर केन्द्रित हो गयी। कामवाली बाई हाथ में नारंगी रंग का कुर्ता लेकर पहुँची।
” बीबी जी! इसे ही ढूंढ रही हैं आप?”
” अरे, हाँ। सभी कुछ अस्त व्यस्त हो रहा है। और वे, ड्राइंग रूम में बैठे बतिया रहे हैं ।”
” बीबी जी, मंत्री जी कहो अब!” कहकर श्यामा हंस दी।
ड्राइंग रूम में लोगों से घिरे हरी बाबू एकाएक उठ खड़े हुए और अपने मित्र नारंग के साथ मोहल्ले में निकल पड़े। उन्हें देखकर लोग फिर जोर से चिल्लाने लगे:
‘ भारत माता की – जय।’
‘ वन्दे – मातरम्। ‘
उन्होंने हाथ से इशारा करके उन्हें चुप रहने को कहा और एक बंद दरवाजे की ओर मुड़ गये।
” अब्दुल मियाँ! घर पर नहीं हो क्या?”
दरवाजा खुलते ही एक सहभागी सा वृद्ध सामने आया।
” अरे, हरी बाबू! आप! मुबारक हो। “
” अंदर ही रहोगे या गले मिलोगे?”
अब्दुल के जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ पड़ी। कांपते हाथों को मजबूती प्रदान करके वे आगे बढ़े और हरी बाबू को गले लगा लिया।
दूर कहीं मस्जिद से ऊंची आवाज में अजान का स्वर उठा और माहौल पर फैल गया ।□
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