Is Bahaane Se : आपको पता है आपका छोटा भाई क्या कर रहा है?
-क्या?
-हम उसकी दुकान से जो भी सामान लेते हैं, उसका वो हमसे कम दाम लेने की बजाय पूरा दाम वसूल कर रहा है।
-जानता हूँ।
-कमाल है! फिर भी आप सारा सामान उसी के पास से ले कर आते हो।
-तो, उससे क्या अंतर पड़ता है।
-क्यों, यह कोई अच्छी बात है कि कोई अपनों को ही लूटे। किसी बाहर वाले से करे तो समझ भी आता है।
-यही तो तुम्हें समझ नहीं आया श्रीमती जी। बाहर वालों से करेगा तो जो थोड़ी बहुत दुकान चलती है, वो भी नहीं चलेगी।
-तो हमसे क्यों?
-क्योंकि हम अपने हैं, और अपने कुछ नहीं कह सकते।
-तो इस बात का फायदा उठा रहा है।
-तो उठाने दो न। मैं चाहता भी यही हूँ।
-क्यों?
-क्योंकि यह तो तुम जानती ही हो कि उसकी आर्थिक हैसियत मुझसे कम है। और यह भी जानती हो कि मुझसे सीधे रूप में उसने न कभी कुछ न मांगा है, और न कभी मांगेगा। तो जो मुझसे वह थोड़े-बहुत ज्यादा दाम वसूल करके ले लेता है, उससे उसकी थोड़ी सी सहायता हो जाती है। मुझे भी तसल्ली रहती है। बाकी तो तुम जानती ही हो जो आज हाल चल रहा है रोजगार और व्यापार का। तो इस बहाने से ही सही, कुछ तो मेरा कर्तव्य निभ जाता है।
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