रसोई में रहते हुए भी कूकर की सीटी की आवाज  रीना के कानों में नहीं पड़ रही थी । वह  खड़ी-खड़ी ख्वाब में किसी  कहानी का प्लाॅट तैयार कर रही थी  । कहानी  लगभग पूर्णता के करीब थी  कि .माँजी ने दूर से आवाज लगायी…  ” आज फिर सब्जी जलानी है क्या ?” इतने में रीना की तंद्रा टूटी और फौरन ही चूल्हे को बंद किया फिर उसने घर के अन्य कार्य को झटपट निपटाया । पुनः उसने ख्वाब वाली कहानी को अपनी डायरी में उतारने की कोशिश की ,…पर ये क्या …?  बहुत कोशिशों के बाद भी वह कहानी उसकी स्मृति से विस्मृत हो चुकी थी ।

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