Jyotish Hindi Short Story: पता नहीं, यह श्रद्धा है,अंधश्रद्धा है या महज़ एक संयोग?

माधव अपने सहकारी के साथ एक ज्योतिषी के घर गएं थे. सहकारी का काम हो गया और वे बस निकलनेवाले ही थें ,ज्योतिषी जी ने उन्हें रोका और माधव से कहा,’ आप सावधानी बरतिएं. अगले पांच दिनों में आपके साथ दुर्घटना होने की संभावना है. उसका कारण होगा वाहन.’

‘इन बातों पर मेरा विश्वास नहीं है. मैं बस इनके साथ आया हूं,’ माधव ने सहकारी की ओर इशारा कर के कहा.
‘यह एक शास्त्र है. इस विषय में मेरा बरसों का अभ्यास है. मैंने कहा ,वह गलत नहीं हो सकता. हां. आपके जान को कोई खतरा नहीं है. लेकिन आप डेढ-दो महिनों के लिए बिस्तर पे लेटे रहोगे.’

‘लगी शर्त पांच हजार रुपयों की. मैं पांच दिन घर से बाहर ही नहीं निकलूंगा. तो फिर कैसे होगी यह दुर्घटना?’
‘इस बार मैं हार गया और आप सुरक्षित रहें ,तो मुझे आनंद ही होगा. ठीक है.आज से पांच दिन बाद रात साढेग्यारह बजे मैं आपके घर आऊंगा और हार मान के पांच हज़ार रुपएं आपको दे दूंगा.’

पांच दिन माधव घर में ही बैठे रहे. बाहर ही नहीं निकले तो दुर्घटना होगी कैसे ?
पांचवा दिन ढल गया. माधव तन्दुरुस्त थे.

ठीक साढेग्यारह बजे माधव के घर की घंटी बजी. ‘लो. ज्योतिषी जी आएं होंगे पांच हज़ार रुपये लेके. कैसी उनकी भविष्यवाणी झूठी साबित की!’अतीव हर्ष के साथ माधव उठे और दरवाज़ा खोलने दौडे.
उफ़! अचानक उनका पैर किसी चीज़ पे पडा.वे फिसल गएं और पीठ के बल गिरे. उन्होंने उठने का प्रयास किया ,लेकिन वे असफल रहें.

माधव की पत्नी ने दरवाज़ा खोला.ज्योतिषी जी अंदर पधारें. देखा तो माधव बेटे की खिलौने की कार पे फिसल के गिर गएं थे .

अर्थात वक्त हार-जीत के बारे में सोचने का नहीं था. ज्योतिषी ने डॉक्टर से बात की.उनके कहने पर अ‍ॅम्ब्युलंस मंगवाई और माधव को अस्पताल ले गएं.
डॉक्टर ने प्लास्टर लगवाया ,जो डेढ-दो महिनें रहने वाला था

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