Ahinsa hindi kahani: तैयार होके मैं पार्टी के लिए निकलनेवाली थी. रसोईघर की खिडकी बंद करने गई, तब अचानक एक तिलचट्टा उडता हुआ अंदर आ गया .

मैंने उसे झाडू से फटकारा. वह मर गया ,इसकी खातिरजमा करके मैं उसे कागज में लपेट के पुडिया बांधने लगी. सोच रही थी , ‘बेचारा! घर में आया ,तब उसे कल्पना भी नहीं होगी कि दो मिनिटों के बाद वह मौत का शिकार होनेवाला हैं .आखिर उसे भी तो अपनी जान प्यारी होगी . किसने दिया मुझे उसकी जान लेनेका अधिकार?’ हमेशा की तरह तब भी मैं अपराधबोध तले दब गई. लेकिन मैं भी हतबल थी. उसे ‘सॉरी’ कहके मैंने वह पुडिया कचरे के डिब्बे में फेंक दी .

पार्टी में मेरे पति ने मेरी पहचान उनके एक सहकारी से कर दी और वे किसी और से मिलने चले गए.
सहकारी ने तुरंत ही मुझसे पूछा, ‘आप नॉनवेज खाती हो ?’ बाकी सब छोडके उनका यह पूछना मुझे अजीब-सा लगा. मेरा नकार सुनकर वे इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने मुझे ‘जीवित जानवर को खाना कितना अमानुष है,उसमें कितना क्रौर्य है ‘वगैरह भाषण देना चालू किया .

‘लेकिन नॉनवेज खानेवाले लोग जिंदा जानवर को उठाके थोडे ही मुंह में डालते हैं?’
वे तो सुनने को तैयार ही नहीं थे. ‘हम लोग तो जमीन के नीचे उगी सब्जी भी नहीं खाते. क्यों कि उसके साथ जमीन के अंदर के कीडें भी आएंगे ना ? ‘
‘लेकिन वह सब्जी तो हम धोते है ना? फिर वे कीडें कैसे जाएंगे पेट में ?’
‘लेकिन बेचारे पानी में मर जाएंगे ना?’
‘यह तो बताइएं,सर.जमीन के उपर पैदा होनेवाली सब्जियां खाते हैं आप ?’
‘हां.’
‘उनमें भी तो जान होती है,ना ?सजीव ही हैं वे. सब्जी,फल …’
‘नहीं…….मेरा मतलब है, वे जिंदा लगते नहीं. कीडें तो हिलते हैं ना!’
वेटर स्टार्टर्स लेके आया. सहकारी ने उसे बहुत सारे सवाल पूछे और एक स्टार्टर के तीन-चार टुकडे लेके खाने का आनंद लेने लगे.
मुझे भास हुआ कि आसपास के सारे लोग पापकर्म कर रहे हैं और पुण्यवान सहकारी का चेहरा तेजोवलयांकित हुआ है.

‘एक बात पूछूं,सर?’
‘हां.जरूर.’ स्टार्टर खाने के बाद मानो उनकी आवाज़ खूल गई थी.
‘आप पेस्ट कंट्रोल करवाते हैं?’ बहुत देर से यह विचार मेरा दिमाग खाएं जा रहा था.
‘पेsस्ट कंट्रोsल?’
‘हां.पेस्ट कंट्रोल.आप अपने घर में करवाते हैं ?’
‘पेस्ट कंट्रोल…,’वे अवनधा निगल गए और फिर बोले, ‘करते है. करना तो पडता ही है. दुनियादारी है ना.’
किसी से मिलने के बहाने वे तुरंत वहां से चल पडे.

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