Maask hindi short story: ‘सुनो जी, रसोई का सामान समाप्त होने को है और आटा तो एक दो दिन का ही बचा है। कल बाजार जाकर रसोई का सामान ले आओ।’ – रसोई में से निशा ने कहा।  जयंत ने टीवी देखते हुए कहा – ‘लिस्ट बनालो।  अब चिंता करने की कोई बात नहीं, लॉक डॉउन तो खत्म ही हो चुका है। कभी भी जाकर ले आऊंगा।’   

जयंत की मम्मी ड्राइंग रूम में आते हुए बोली – ‘बेटा, लॉक डॉउन खत्म नहीं हुआ, अनलॉक हुआ है।  इसमें भी हमें कोरोना से बचाव के प्रयास करने है। इसकी अभी कोई दवा नहीं बनी है।’  ‘क्या मम्मी जी, आप भी ना,  ऐसे ही डरती रहती हो।’ – टीवी से नजरें हटाते हुए जयंत ने कहा।   ‘बेटा, मैं डर नहीं रही, एहतियात बरतने की बात कह रही हूँ।’ – शारदा देवी ने अपने बेटे से कहा।  ‘मम्मी जी, ये तो आप को भी पता है कि हम बार बार हाथ भी धोते है। सेनेटाइजर्स का भी प्रयोग करते है। साफ सफाई पर भी खास ध्यान दे रहे है। अब बताओ कि ओर क्या एहतियात बरते।’ – जयंत ने सफाई देते हुए कहा।  इतना सुनते ही तपाक से शारदा देवी बोली – ‘बेटा, तुझे कितनी बार कहा कि बाहर आने जाने के लिये थ्री लेयर सर्जिकल मास्क लेकर आना। लेकिन तू है कि मेरी बात सुनता ही नहीं है।  तू जब भी बाहर जाता है तो निशा द्वारा साधारण कपड़े से बनाया हुआ मास्क ही लगाकर चला जाता है।’   यह सुनते ही जयंत बोला – ‘मम्मी जी, बाहर आने जाने के लिये ये घर में बना मास्क ही बहुत है, फिर थ्री लेयर सर्जिकल मास्क क्यों खरीदे ?’ 

यह सुन शारदा देवी बोली – ‘अच्छा, ये टीवी वाले पागल है जो रोज कहते है कि कोरोना से बचने के लिये थ्री लेयर मास्क पहनकर घर से निकले।’   ‘अरे मम्मी जी, ये थ्री लेयर मास्क तो उनके लिये जरूरी है जो या तो खुद कोरोना का मरीज है या किसी  कोरोना मरीज की देखभाल कर रहा है या वो कोई स्वास्थ्य कर्मी है।  इस प्रकार की असामान्य परिस्थितियों के लिये थ्री लेयर मास्क होता है और सामान्य परिस्थितियों के लिये घर पर बना हुआ साधारण कपड़े का मास्क कोरोना वायरस से हमारी सुरक्षा बखूबी कर सकता है।’   ‘अच्छा ये बात है तो मेरे लिये ये थ्री लेयर मास्क बाजार से लाने की जरूरत नहीं है, मैं भी अब अपनी बहु से ही अपने लिये भी मास्क बनवा लूंगी। – कहा शारदादेवी ने।

(Visited 1 times, 1 visits today)

Republish our articles for free, online or in print, under a Creative Commons license.