Neta Hindi Short Stories: एक था गांव। शांत सरल सभ्य सुशील। गांव में सभी धर्मों, जातियों के लोग मिल जुल कर रहते थे। एक दूसरे के सुख दुख में काम आते। आपस के विवाद मिल जुल कर सुलझा लेते न गांव में किसी के घर टीवी थी न कोई अखबार पत्रिका आते न पण्डित पुरोहित आते।
गांव के बीच बने एक बड़े चाबू तरे में लोक नृत्य गायन वादन नाटक होते और गांव वाले मनोरंजन करते।
एक दिन गांव वालों ने एक नेता की महिमा सुनी । जो लोगों की समस्याएं सुनता,सुलझाता था। लोगों की सब तरह की मदद करता था। गांव के ही सक नवयुवक ने सुझाव दिया कि क्यों न हम लोग एक नेता को लाकर अपने गांव में बसा लें तो हमारा गांव भी तरक्की कर जाएगा। गांव के बूढ़ों पुरनियों ने नेता बसाने का विरोध किया तो नवयुवक बोला कि क्यों न हम एक पुआल (पराली) का नेता बना कर अपने गांव के चबूतरे पर खड़ा कर लें और जब कोर गंभीर समस्या आए हम उसी पुआल के नेता से सलाह लेकर अपने काम करें।
सक दिन गांव में कोई गम्भीर समस्या आ पड़ी। सभी लोग चबूतरे पर इक्कठ्ठा हुए। पर किसी को कोई हल नहीं सूझ रहा था। बुद्घिपर जोर डाल रहे थे। ।कुछ लोग बीड़ी पी रहे थे ।
तभी किसी ने कहा कि अरे किसी ने नेता जी से तो इसका हाल पूंछा ही नहीं। चलो पहले नेता जी को भी बीड़ी पिलाओ । नेता जी जरूर कोई हल सूझा देंगे।
और एक सज्जन ने एक बीड़ी सुलगा कर पुआल के नेता जी के मुख में दबा दी और बातों मै व्यस्त हो गए।
पुआल के नेता जी ने हवा के साथ बीड़ी की इतनी जोर से कस मारी की पुतला जलने लगा। गांव वाले सोचे कि नेता जी उनकी समस्या का हल बताने जा रहे हैं पर पुतले की आग ने विकराल रूप धारण किया और पूरे गांव के घर जला कर राख कर डाला। गांव वाले बोले जब पुआल के नेता जी ने गांव फूंक डाला तो असली नेता जी आएंगे तब गांव का क्या हाल होगा।
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