Sach hindi kahani: ‘नारी उत्थान समिति’ के  मंच पर अतिथियों का परिचय, स्वागत चल रहा था ।

   शोभा,  विनोद जी  के उद्बोधन की प्रतीक्षा कर रही थी ।  

   अंततः वह घड़ी आ ही गई ।

    विनोद जी को सादर आमंत्रित किया गया ।  

     तालियों बज उठीं ।

     उन्होंने माइक संभाला ।

     “देवियों और सज्जनों !  सभी को मेरा सादर नमन !….. समिति का आभारी हूँ कि मुझे आमंत्रित किया  गया । आज यहाँ हम नारी  सशक्तिकरण के बारे में बात करने के लिए  एकत्रित हुए हैं । नारी सशक्तिकरण  का अर्थ  नारी में उस  क्षमता को जगाना है जिससे  वह अपने  निर्णय  स्वयं ले सके …..अपने आसमान  छू सके ….  …….।

        वे नारी   सशक्तिकरण के पक्ष में शब्द  उछाले चले जा रहे थे । धीरे – धीरे उनके शब्द उसके कानों से टकराना बंद होने लगे ।  उनके  रोज चलने वाले  व्यंग्य- बाण  आकार लेने लगे  ……थप्पड़ों की लकीरें  उसके चेहरे पर खिंचने लगीं ……. मार …धक्के … गिरना   ..  रोना …चीखना ….  पिता के हाथ जोड़ती सीमा  का उसको संभालना ….कातर नजरों से पिता को देखना…   सब उसके सामने  जीवंत होता चला जा रहा था .. .. शरीर पर  खिंची  नीली लकीरें उभर कर दर्द देने  लगी थीं ।  आँसू भीतर बेकाबू हो रहे थे ।

       उद्बोधन समाप्त हो चुका था ।

       तालियाँ  बज रही थीं  ।

       उसने भी ताली मिला दी ।

     शोभा के पास बैठी महिला उसकी ओर उन्मुख हुई ।

      ” आप उनकी मिसेज़  हैं ? 

      ” जी।”

       ” भाग्यवान हैं  । इतने ऊँचे विचारों के पति मिले हैं । “

       ” जी, धन्यवाद । वे ऐसे ही हैं । वे नारी के

प्रति बहुत सम्मान रखते हैं ।” अपने झूठ पर वह खुद ही तिलमिला गई ।

मंच से उतर रहे थे ।          वह देख रही थी कि अभिनेता स्वांग उतार, उसकी ओर चला आ रहा है ।

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