भाई के बेटे की शादी थी मैं दस दिन पहले ही चली आई पतिदेव आफिस के कारण साथ ना आ सके । बस देहरादुन तक थी आगे गांव तक सूमो और जीप चलती हैं। दो बड़ी अटैचियाँ ड्राईवर ने ऊपर छत पर रखवा दी और जीप गाँव के लिए रवाना हो गई। रास्ते के गाँव से एक सुन्दर से नौजवान ने जीप रुकवाई (जो शायद नौकरी की तैयारी कर रहा होगा )अन्दर जगह न होने के कारण ड्राईवर ने उसे ऊपर बिठा दिया जहाँ सभी का सामान रखा था।
दो घण्टे के सफर के बाद मैं घर पहुँच गई। शादी का माहौल था घर में सभी खुश थे । शाम को कपड़े बदलने के लिए मैनें अटैची खोली तो मेरे पांव तले की जमीन निकल गई मेरे सारे गहने गायब थे । मेरा शक उस लड़के पर गया जो जीप की छ्त पर बैठा था । भाईयों का बड़ा दबदबा था तुरन्त पुलिस उस लड़के को उठा ले गई। पुलिस ने उसकी दो दिन तक बुरी तरह पिटाई की मगर उसने जुर्म कबूल नही किया। मैने पतिदेव को गुस्से के डर से नही बताया और वो तो पहले ही कह रहें थे कि तुम गहनें मत लेकर जाओ मैं आते हुए ले आऊंगा । आज हौंसला कर घर वालों के कहने पर पतिदेव को फोन कर बताया कि ऐसे ऐसे बात हो गई है तो बोले अरे तुमने ये क्या कर दिया, तुम मान नही रही थी इसलिए गहनें तो चुपचाप मैनें निकाल कर अपने पास रख लिए थे। मुझे काटो तो खुन नही उधर पतिदेव फोन पर चिल्ला रहें थे तभी भाई साहब की बाहर से आवाज़ आई साले ने आज हवालात में दम तोड़ दिया लेकिन गहनों का पता नही बताया
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