अक्सर सुनते आए हैं दीवारों के भी कान होते हैं मगर
मन के भाव दीवारों से लोग भला कब साझा करते हैं
लेकिन बच्चे तो बच्चे हैं
दीवारें तक बन जातीं हैं
खेल खेल में इनके साथी
बच्चे अब दीवारों से खूब बतियाने लगे हैं
दीवारें भी जीवंत होने लगी हैं
कोशिशे रंग लाने लगी हैं
दीवारें बोलने भी लगी हैं
बोलती दीवारें देखनी हों तो
‘दीवार पत्रिका’ के बेहद करीब जाकर
उसे गौर से ज़रूर देखें/पढ़ें
यहां दीवारों को काटते नहीं
मनोभाव बाँटते पाएंगे
इनमें दिलों की दूरियां नहीं
दिलों की करीबियां दिखेंगी
दीवारें खड़ी करनी हैं खूब करो
बच्चों का जादू सारी दूरियां पाट कर
उनमें ऐसे मनमोहक रंग भर देगा
दिखेगी दीवारों की लंबी सी जुबान
जो अनेक बच्चों की शक्लों में
सुना रही होगी गुदगुदाती कविताएं
अपने परिवेश की कहानी
वह भी बच्चों की जुबानी
बच्चों का काम जारी है….
आहिस्ता आहिस्ता
दीवार पत्रिका की दीवार
सरहदों को तोड़ती
तमाम बच्चों को आपस में जोड़ती
दुनियां की सबसे बड़ी ‘बोलती दीवार’ कहलाएगी
जिसे बच्चे बना रहे हैं अपनी ही कोशिशों से
इतिहास में दर्ज तमाम दीवारें
एक दिन
बौनी हो जाएंगी इसके आगे
शाबाश प्यारे बच्चो! लगे रहो
नया कीर्तिमान रचने-गढ़ने में
जो सिर्फ और सिर्फ
तुम्हारे ही नाम दर्ज होने जा रहा है।

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