Prem Page Rishte Hindi Kahani: रोहन को ऑफिस के काम से अक्सर टूर पर रहना पड़ता । उसका पूरा ध्यान पापा की ओर ही लगा रहता । दिन में तीन चार बार फोन कर हाल चाल पूछ लेता पर कभी कभी काम इतना होता कि दिन भर बात ही न हो पाती ।
जब से माँ गुजरी पापा बहुत उदास रहने लगे थे । दीदी शादी के बाद अक्सर मिलने आ जाती पर संयुक्त परिवार की बहू होने के नाते जिम्मेवरियां बढ़ती गई तो अब फोन पर ही हाल पूछ लिया करती ।
“पापा ! चाय पियेंगे !”
कोई उत्तर न मिलने पर उसने रसोई से झाँका!
पापा फोन में तल्लीन थे । उनके होंठो पर मुस्कराहट थी और आँखों में चमक ।
रोहन के मन में संशय उभरा लेकिन उसे वहीं झटक वह रसोई को ओर बढ़ गया ।
“शायद कोई चुटकुला पढ़ रहें होंगे ।”
अब अक्सर यही होने लगा । पापा फोन में ही खोये रहते । रोहन ने सोचा
“इस बार जब दीदी आएगी तो उनसे इस बारे में बात करूँगा ।”
अब पापा की बिन मतलब की रोक टोक खत्म हो गई थी । बात बात में नुक्ताचीनी निकालने वाले पापा अब मस्त रहने लगे थे ।
रोहन को उनका ये बदलाव अच्छा लगा ।
माँ के जाने के बाद कितने वर्षों बाद यूँ बात बेबात मुस्कुराने लगे थे पापा । अब पापा की मुस्कराहट उसे भी अच्छी लगने लगी ।
“हाँ मैंने खाना खा लिया और तुमने!”
रोहन बॉलकनी में गया तो पापा धीरे-धीरे किसी से बतिया रहे थे। आँखों की चमक साफ चुगली कर रही थी । एक हाथ में न्यूज पेपर यूँ पकड़ा हुआ था मानो पढ़ रहे हो पर बेख्याली में उन्हें ध्यान ही नहीं था कि हाथ में पकड़ा न्यूज पेपर उल्टा था । रोहन की हँसी छूटते छूटते बची ।
अब टूर पर जाते हुए उसे इतनी फिक्र नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि फिक्र करने वाली तो पापा की जिन्दगी में आ ही गई थी न ! वह मन ही मन मुस्कुरा दिया ।
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