Soch Short Stories: आज मैं गदगद हूं , आंखों से आंसू अविरल धार बन कपोलों से नीचे लुढ़क हृदय की हर तार झंकृत कर रहे हैं । विदुर की ज्यादा प्रकैटिकल सोच से परेशान रहने वाली , उनमें भावनात्मक कमियां ढूंढने वाली मैं भाव विह्वल हूं ।मेरा भाई प्रसून आया है बिटिया की शादी का निमंत्रण लेकर हम सबको बुलाने । बड़े ही आदर से विदुर ने निमंत्रण स्वीकार किया और अपनी चेक बुक लाकर 5 लाख का चेक साइन कर भाई के हाथ में थमा दिया है । प्रसून हतप्रभ है, “जीजा जी यह क्या ?”
विदुर ने कहा,” बिटिया के विवाह में कुछ फर्ज़ निभाने का प्रयास कर रहा हूं ।” प्रसून ने हैरानी से कहा,” जीजा जी मैं समझा नहीं ?”
विदुर बड़े ही शांत और संयमित स्वर में बोल रहें हैं ,
” ये कौन सी किताब में लिखा है कि सदैव भाई ही बहन का करता रहे । मेरा मानना है कि अगर बहन अधिक साधन संपन्न है तो उसे भी भाई का हाथ बटाना चाहिए । ये माया तो जीवन की गाड़ी को सुचारू ढ़ग से चलाने का औजार मात्र है अगर काम आएं तो नोट नहीं तो कागज के टुकड़े । प्रसून तू मेरा भी छोटा भाई है किसी भी तरह की जरूरत पड़े निसंकोच बताना। ” मैं नतमस्तक हूं विदुर की सोच पर क्या हुआ अगर मुझे जन्मदिन और सालगिरह पर तोहफे नहीं दिए ,कभी मना भी तो नहीं किया । खुश हूं आज समाज को एक नई सोच भी तो दी है ।
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