दृश्य-एक:

वह सुनार की दुकान में बैठा था।इस सुनार से उसके तीस साल पुराने सम्बन्ध थे और यह सुनार बहुत ही पारखी और अच्छी साख वाला था।सुनार अभी दुकान पर नहीं पहुंचा था, इसलिए प्रतीक्षा करना ही उसे वाजिब लगा।वह सुनार के पास एक हीरे की अंगूठी गिरवी रखना चाहता था, जो उसके प्यार की अंगूठी थी।उसने जेब में रखी अंगूठी को अंगुलियों से छुआ तो मानों सोनिया उसके सामने आकर खड़ी हो गई हो।

दृश्य-दो:

एक दिन था कि जब वह सोचता था कि यदि उसे सोनिया के बिना रहना पड़ गया तो वह जी नहीं सकेगा।सोनिया के बिना जी पाने की कोई सम्भावना नहीं थी।समय के साथ वे अलग हो गए, लेकिन ताज्जुब और हंसी की बात कि ऐसा कुछ नहीं हुआ।

सोनिया के मम्मी, पापा नहीं चाहते थे कि वह उसके नज़दीक रहे, लेकिन दोनों तरफ थी आग,बराबर लगी हुई।सोनिया के साथ उसकी नज़दीकियां बढ़ती चली गई और उसके मम्मी, पापा ने उससे पीछा छुड़ाने के लिए उसका रिश्ता तय कर दिया।

विरोध का साहस न सोनिया में था और न ही उसमें।दिन बीते और सोनिया की शादी का दिन आ गया।अब मानों वह सोकर जागा।बिन बुलाये,शादी में शामिल हुआ और उस कमरे तक पहुंच गया, जहां सोनिया को सजाया जा रहा था।संयोग से उस समय कमरे में और कोई नहीं था।सोनिया को भी इस दुस्साहस की उम्मीद न थी।

उसने शादी के तोहफे के तौर पर उसे एक चाँदी की अंगूठी भेंट की।जिसके जवाब में सोनिया ने उसे अपनी याद के तौर पर एक हीरे जैसी अंगूठी भेंट की।वह इतनी महंगी गिफ्ट नहीं लेना चाहता था।लिहाज़ा उसने अंगूठी सोनिया को लौटा दी।लेकिन सोनिया ने उसे अपनी कसम देकर अंगूठी रखने के लिए कहा।कमरे में रिश्तेदार आने लगे और वह वहां से चला गया।

आज वर्षों बाद इस प्यार की अंगूठी को गिरवी रखने की नौबत आ गई, मज़बूरी ही कुछ ऐसी थी। सारी घटनाएँ किसी फ्लैश बैक की तरह आँखों के सामने से गुजरती चली जा रही थी।सारा जीवन इस अंगूठी को दिल से लगाकर रखा था।काश,यह मज़बूरी न आयी होती।

दृश्य-तीन:

सुनार आ गया था,तन्द्रा भंग हुई।

गिरवी रखने की मंशा बताते हुए उसने हीरे की अंगूठी सुनार को दिखायी।अंगूठी देखकर सुनार धीमे से हंसा, फिर अंगूठी को परखने लगा।सही जाँच-पड़ताल से आश्वस्त होने के बाद सुनार ने अंगूठी उसे लौटा दी और कहा-“बाऊ,क्या उठाये घूम रहे हो ये?यह हीरा नहीं,हीरे के जैसे दिखने वाला काँच है।बाऊ,काँच की अंगूठी है यह….”

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