Jid achchhee hai Hindi Kahani:”बाबूजी! पन्द्रह दिनों की ही तो बात है, अभी रुक जाओ! श्राद्धपक्ष में नए भवन की शुरुआत करना ठीक नहीं।”” क्यों ठेकेदार भाई! श्राद्ध पक्ष तो बीती पीढ़ी को गौरव देने व पुन:स्मरण करने के दिन हैं, ये अशुभ कैसे हो सकते हैं? हमारे बड़े हमारा अहित कैसे होने दे सकते […]
लघुकथा
एक ही बेटा: Hindi Story
Ek Hi Beti Hindi Story: रामजीलाल मास्टर जी का बड़ा बेटा साहिल पढ़ने में होशियार था। आईआईटी, आईआईएम करके वह मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी नौकरी पा गया था। वहीं छोटा बेटा विवेक मुश्किल से दसवीं पास कर पाया था। पिता उसे सारा दिन कोसते रहते… तू किसी काम का नहीं है…नालायक है…।आखिर पिता ने उसे […]
नेकपिलो:Short Story
Neckpilo Short Story: दिन भर की भाग-दौड़ से थका-माँदा घर पहुँचा। कमरे के बाहर अमेज़न ऑनलाइन शॉपिंग के कई बॉक्स पड़े थे और कमरे में बेड पर ढेर सारा सामान बिखरा था। बेटी चहकते हुए बोली- “डैडी! ये देखिए, बाबा के लिए वाच, दादी के लिए पर्स, भैया के लिए बुक, मम्मी के लिए किचन […]
ओवरडोज: Hindi Kahani
Overdose Hindi Kahani: “मैंने तुमसे पचास बार कहा कि माँ की तबीयत ठीक नहीं है, ऐसी स्थिति में उन्हें छोड़कर मैं नहीं जा सकता” अमित बेबसी भरे स्वर में बोला। “तो क्या हम अपना कैरियर बर्बाद कर देंगे?” नमिता चीखी। “कैरियर माँ-बाप से बड़ा नहीं होता। खाने-पहनने का ज़रिया इस क़स्बे में भी पर्याप्त है।” […]
संवेदना: Short Story
Sanvedana Short Story: मातम मनानें आये महानुभाव ने दिवंगत के बेटे से कहा। हम तो आपके पिता जी के बहुत करीबी थे, घर जैसे सम्बंध थे हमारे उनसे। बहुत नेक इंसान थे। बहुत दुख है उनके जाने का। बेटा हम आपके साथ हैं इस दुख की घडी में। कुछ देर बाद फिर बोले , बेटा […]
पटाखे: Hindi Story
Pataakhe hindi story: दीपावली के आस पास राघव अपने घर से बहार निकलना एक दम बंद कर देता था। अपने दोस्तों से मिलना जुलना भी कम कर देता था। इस बार उसकी माँ ने उससे पूछ ही लिया ”क्या बात है राघव तुम दीवाली के समय घर से बहार क्यों नहीं निकलते, मैं देखती हूँ […]
नई परिभाषा: Hindi Kahani
Nai paribhaasha Hindi Kahani: “अस्लाम वालेकुम, भाईजान!” उसने बड़े अदब से कहा। “वालेकुम अस्लाम!” आलम ने मुस्कुराते हुए अपरिचित का अभिवादन स्वीकार करते हुए कहा। “भाईजान मेरा नाम रहमान है। मैंने सुना है कि दंगों में आपके वालिद ….” कहते-कहते रहमान रुक गया। आलम के चेहरे पर पुराने ज़ख़्म हरे हो गए। “कबूतरों को दाना डालते […]
शिक्षक:Hindi Kahani
Shikshak hindi kahani: “आप हर परिस्थिति में इतने शांत, धीर-गंभीर कैसे रहते हैं?” उसने आश्चर्य से कहा। “मैं जीवन के रहस्य को समझ गया हूँ बेटा।” वृद्ध व्यक्ति ने अपनी उम्र से आधे उस जिज्ञासु युवा से कहा, “क्या मैं तुम्हें बेटा कहने का अधिकार रखता हूँ?” “हाँ-हाँ क्यों नहीं, आप मेरे पिता की आयु […]